दाता,

बडेरा!

म्हांनै अणमोल आंख्यां

दे’यर

थूं मोकलौ राजी व्हियौ

पण जद

म्हैं

कुदरत रा सैंग

इचरज

खेल

लीक-लिकोटिया

देख नै पाछौ आयौ अर

कोड सूं

छूवण लाग्यौ थारौ खांधौ

थूं घूंण घाल्यां

ओबरी में बैठ्यौ हौ—

साव आंधौ!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै