आज रौ मिनख

बिसरग्यौ खेजड़ा री छिंया

बबूल्यां रौ आसरौ

छाल्यां रौ चरावणौ

आडै कांकड़ चालणौ

मोटौ पैरणौ अर

मोटौ खावणौ

आज रौ मिनख

धरती माथै नीं चालै

मिनखापणौ दोयम व्हैग्यौ

माया रा चक्कर में

रात-दिन फिरै

आपरै सुख नै खोजै

दूजां सारु नीं सोचै

ईं कारण

आज रौ मिनख

अेकलौ व्हैग्यौ

मिनखाचारै री डोर तूटगी

सुवारथ रै आगै आंधी व्हैग्यौ

अर दोड़तौ-न्हाटतौ थाकग्यौ

नीं जाणै वौ

वीं नै कठै जावणौ है

स्रोत
  • पोथी : मिनख ,
  • सिरजक : विनोद सोमानी 'हंस' ,
  • प्रकाशक : विद्या प्रकाशन ,
  • संस्करण : 1
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