अेक भांबी अळगै गांवतरै पाळौ जावतौ हौ। आसोजां रौ कुजरबौ तावड़ौ। च्यारूंमेर जांणै झाळां दाझै। लांबी भांय। भांबी परसेवा में घांण व्हैगौ। उणरी फींचा तूटण लागी। पण जोर कांई करै! पेंडौ तौ हालियां कटै।
धमेक बिसाई खावण सारू वौ खेजड़ी री छींयां में लातरनै हेटै बैठौ। ऊभी आंगळियां करनै रांमसापीर नै वीणती करी— रांमसापीर, थूं घट-घट रौ वासी है, दुखां रौ मेटणहार है, पछै म्हारै मन री पीड़ थारा सूं छांनी क्यूं? जे अबारूं भगत री पीड़ा जांणनै अेक घोड़लियौ भेजदै तौ थारा जलम-जलम गुण गावूं।
सताजोग री बात के ज्यूं ईं भांबी आंख्यां मींचनै वीणती करी के उणनै आवाज सुणीजी— औ कुण बैठौ है?
भांबी जांणियौ के रांमदेवजी सांप्रत परगटिया है। वौ आंख्यां मींच्यां थकां ई बोल्यौ— औ तौ म्हैं आपरौ भगत हाजरियौ भांबी हूं।
वळै आवाज आई— अठै क्यूं बैठौ?
भांबी जांणियौ के आज तौ रांमदेव बाबौ तूठौ पण तूठौ। हाथ जोड़नै बोल्यौ— बाबा, अेक घोड़लिया री खातर बैठौ हूं। लांबौ गांवतरौ है। अबै म्हारा सूं अेक पावंडौ ई धकै नीं चालीजै। थारै तबेला में अलेखूं घोड़ा है। देदै रांमसा— पीर, अेक थाकोड़ौ ई टारड़ौ देदै।
आ कैयनै भांबी आंख्यां खोली तौ देखै के सांम्ही घोड़ी री लगांम पकड़ियां अेक असवार ऊभौ। घोड़ी रै अड़ौअड़ अेक नैन्हौ-सीक बछेरियौ निगै आयौ।
घोड़ी रौ असवार भांबी नै रौब सूं कह्यौ— घोड़ी मारग में ठांण दै दियौ। म्हनै दिन बधियां पैली गांव पूगणौ जरूरी है। चाल फुरती कर। इण बछेरिया नै खांधा माथै उखण लै। बछेरियौ कंवळौ है, इणरा पग सावळ जमै कोनीं। मोटियार— काटी है, लै अबै मोड़ौ मत कर। इण बछेरिया नै माथै उखण अर घोड़ी रै साथै-साथै चाल।
भांबी जांणियौ, आ तौ जबरी व्ही। म्हैं तौ चढ़ण सारू घोड़लियौ मांगियौ हौ, उखणण सारू नीं। आ वीणती तौ सांम्ही मूंघी पड़ी। बोल्यौ— बापजी, अेक चिलम पीवूं जित्तै थोड़ा सुस्तावौ।
भांबी आपरी कड़ियां सूं बंधी पावोरी खोलनै जरदौ काढ़ियौ। चिलम भरनै सिळगाई। असवार घणौ आंचौ करियौ तौ वौ पांच सातेक फूंकां खांचनै ऊभौ व्हियौ। घोड़ी रा बछेरिया नै पूठ माथै उखणियौ अर घोड़ी रै साथै-साथै वहीर हुवौ। मन में विचार करतौ जावतौ के रांमसापीर हेलौ सुणियौ पण सांभळियौ कोनीं। म्हैं तौ म्हारै बैठण सारू घोड़ौ मांगियौ हौ पण बाबौ म्हारै उंचावण सारू बछेरियौ भेज दियौ। वीणती भरै तौ पड़ी पण आरांम री ठौड़ दुख देवण नै।