अेक जाट रा खेत गोडै मुसळमांनां रा मसांण हा। खेत रै पाखती ई जाट री ढांणी ही। जनाजौ दफणावती वगत देखण रा कोड सूं वौ जाट घणी बार कबरां कनै आय जावतौ। वौ खांधियां नै यूं ईं अटपटा सवाल पूछतौ— म्हारै गळाई थें लास नै बाळौ क्यूं नीं? थारै दफणायां पछै जिनावर माटी री सांन बिगाड़ै। बाळियां पछै तौ वांनी बाकी रैवै।
मुसळमांन पड़त्तर देवता— जनाजौ दफणायां पछै मुनकिर अर नकीर नांव रा दो फरिस्ता आवै। जनाजा सूं उणरी करणी रा बारा में पूछताछ करै के थारौ रब कुण है, थारौ मजहब कांईं है, थूं किण रसूल रा पंथ माथै चालै? थूं इण दुनियां में आयनै कांई भलौ-भूंडौ करियौ? जनाजा नै सगळी पूछताछ रौ फरिस्तां नै जबाब देवणौ पड़ै। उणरी नेक करणी व्है तौ अल्ला-ताला उणनै जन्नत अता करै अर उणरी भंडी करणी व्है तौ उणनै दोजख बगसै। जनाजा रै बळियां पछै उणरी करणी रौ कीकर लेखौ लियौ जावै!
जाट बोलौ-बोलौ वांरी बातां सुणतौ रैवतौ। यूं देखतां-देखतां अर पूछताछ करतां वौ जाट मुसळमांना रै दफणावण री केई बातां जांणग्यौ। उणनै अेक बात री खास तौर सूं ठाह पड़ी के मुरदौ दफणावती वगत सगळा खांधिया झुकनै सिजदा करियां बिना ई ऊभा-ऊभा जनाजा री निमाज पढ़ै। निमाज पढ़णियौ मौलवी साथै नीं व्है तौ वै मुरदा नै बिना निमाज पढ़ियां ई दफणाय दै। मौलवी रै आयां वै पाछा कबर कनै आवै। जनाजौ बारै काढ़नै उणरी निमाज पढ़ै। वै जनाजा वास्तै खुदा सूं दुआ मांगै के उणरी खता माफ करै अर उणनै जन्नत अता करै।
अेकर अेक मुरदा नै वै मौलवी साथै नीं होवण सूं यूं ईं दफणाय दियौ। दफणायां रै दूजै दिन जाट आपरी निजरां सूं साफ देख्यौ के अेक जरख कबर खोदनै लास बारै काढ़ली। लास नै ठिरड़तौ वौ भाखर ढळग्यौ।
पांच सात दिनां सूं मौलवी नै साथै लेयनै जनाजा री निमाज पढ़ण सारू खांधिया उठै पाछा आया। देखै तौ कबर खोदियोड़ी अर साव खाली।
वै सगळा ई राजी होयनै अेक दूजा रौ मूंडौ देख्यौ अर बोल्या— फरिस्ता आयनै जनाजा नै तौ सीधौ जन्नत में लेयग्या।
जाट बीच में ईं बोल्यौ— फरिस्ता अर जन्नत री तौ म्हनै ठाह कोनीं पण इण लास नै तौ जरख खोद परौ नै सांम्ही भाखर ढळियौ म्हैं म्हारी निजरां देख्यौ। अबै ई भाखर री परली ढाळ सोधौ तौ बिखरियोड़ी हाडकियां लाध जावै।
मुसळमांन जाट नै झिड़कतां कह्यौ— थूं गंवार है, आं बातां में नीं समझै। वै फरिस्ता हा, खास फरिस्ता।
जाट जिद करी— म्हारौ कैणौ मांनौ वौ असली जरख हौ जकौ कबर खोदनै लास ठिरड़तौ लेग्यौ।
दोनां में रांझौ पड़ग्यौ। वै तौ कैवता के जनाजा नै फरिस्ता लेग्या अर जाट जिद करतौ के लास नै लिजावण वाळौ जरख हौ। सेवट जाट मुळकनै बोल्यौ— अबै सगळी बात म्हारी समझ में आयगी। म्हैं जिणनै जरख कैवूं थें उणनै फरिस्ता कैवौ।
थांरी म्हांरी बोली में इत्तौ इज फरक, थें कैवौ फरिस्ता नै म्है कैवां जरख।