— कांई जीवण अेक अबखो मारग है?
— नीं तो!
— नीं कांई, अबखाइयां, मुसीबतां अर आफतां सूं भर्योड़ै लांबै मारग रो नांव ई जीवण है।
— मन रै हार्यां हार है अर मन रै जीत्यां जीत। बाकी जीवण लांबो कठै? जीवण तो आंख रै फरुकै बीतै। केई काम अधूरा रह जावै अर संसार सूं विदा हुवणो पड़ै। पछै मारग लांबो कठै?
—हांऽ, इयां देखां तो जीवण सुपनैवाळी बात है।.... तो पछै दुनिया यूं क्यूं कैवै के लुगाई री जिंदगी विपदावां सूं भर्योड़ी है। भागजोग सूं जे कोई भर जवानी में रांड हुय जावै तो सगळा कैवण लागै-अबै रामजी ई बेड़ो पार लगासी। जमानो घणो खराब है। जे कठैई पग ऊक-चूक पड़ग्यो तो जमारो बिगड़ जासी। घर-घराणै रो नांव डूबसी जिको न्यारो। खुद कठै री ई कोनी रैवै। इण सूं आछो तो औ है कै पाछो घर बसाय लेवणो चाइजै।
सूती-सूती विमला खुद ई सवाल पूछै अर खुद ई पड़ूत्तर देवै। सगळा सवाल-जवाब जीवण सूं गहरो ताल्लुक राखै। यूं ठाह तो अेक पळ री कोनी पण सोचणो सों बरस रो पड़ै। दुनिया घणी स्याणी है! पगां बळती कोई नै नीं दीसै पण डूंगर बळती सगळां नै दीसै। कर्यो कांई जावै? जग री आ ई रीत है। मिनख नीं तो जग नै बदळ सकै अर नीं जग री जबान पकड़ सकै। विमला सोच्यां जावै ही। बींरै च्यारूं-मेर घोर अंधारो हो, कीं नीं सूझै हो। छतांपण वा इण अंधारै में आंख्यां फाड़-फाड़’र मारग जोवै ही। सीयां मरतो रिंकू बींरै काठो चिप’र सूतो हो। मां री सगळी ममता सींव तोड़’र रिंकू माथै रळकै ही। विमला रो नेह भर्यो हाथ रिंकू री पीठ माथै होळै-होळै फिर हो। रिंकू सनेव री सीतळ छींया में घोर खांचै हो।
विमला फेरूं सोचण लागी—म्हारै जीवण अर इण घोर अंधकार में कांई फरक है? इण में सूरज री किरण चमकणी असंभव है। म्हनैं तो आखी जिंदगाणी इण अंधकार में भटक’र काटणी है। निसकारो नांखती बा मुळमुळाई—खैर, म्हारो आगोतर तो सुधरै का बिगड़ै पण म्हैं इण टाबर रै भविष्य नै बणावण री पूरी कोशिश करस्यूं। म्हारै भाग में तो रोवणो ई लिख्यो है पण इणनै नीं रोवण देवूं। चिंता आ है कै कठैई म्हारी नासमझी सूं इणरो भविष्य नीं बिगड़ जावै।
— म्हारो मोट्यार तो मरग्यो!...अर इण विचार रै सागै विमला रै हिवड़ै में हूक-सी उठबा लागी। वा सूती नीं रह सकी। तिलमिलाय’र बैठी हुवण लागी पण रिंकू विमला रै गळबाथ घाल्यां सूतो हो। हिवड़ै री हूक पाणी बण’र आंख्यां में तिरबा लागी। जळजळी आंख्यां में अेक मोट्यार तिरबा लाग्यो। बोल्यो—बस, हिम्मत हारगी? कांई थनै थारै माथै भरोसो कोनी? आ दुनिया है लाडी! आ चढ्यै नै ई हंसै अर पाळै नै ई हंसै। इणरो किणी सूं ई नातो-रिश्तो कोनी। आ नीं तो बुरो सोचै अर नीं भलो। आ पाणी ज्यूं रंग हीण है। थारै विचारां सूं मिलती-जुलती थनै दीसै। थारा विचार आछा है तो सगळी दुनिया आछी दीखसी अर विचार माड़ा है तो दुनिया ई माड़ी निजर आसी। हाल तो थारै नुंवै जीवण री शुरूआत ई हुई है अर थूं तो बेगी ई घबरीजगी। दुनिया नै देख अर परख। हर अेक चीज दीसै जिसी नीं हुया करै। काम पड़्यां फरक सांम्हो आय जावै। इण वास्तै विवेक री निजरां सूं देख, सुण अर समझ।
विमला री आंख्यां सूं आंसू ढळक’र तकियै माथै बिखरबा लाग्या। बा रिंकू री पीठ माथै हाथ फेरबा लागी। बींनै विगत जीवण री बातां याद आवण लागी।... घर धणी दिनूगै बेगा ई उठनै पढावण सारू जावता। पाछा घरां आयनै भोजन कियां पछै स्कूल जावता। सिझ्या रा घरां आयनै फेरूं पढावण नै जावता। इण भांत रात-दिन चकरी ज्यूं चालता रैवता। छुट्टी-छपाटी रो दिन रासन-पाणी भेळो करण में बीत जावतो। सासू कैवती-रे बेटा! इयां-कियां काम चालसी? थोड़ो-घणो तो आराम किया कर। जितरो खरचो है उतरी दाळ-रोटी भगवान देवै ई है। म्हारी किसी कन्यावां कुंवारी बैठी है जिको इतरी मेहनत करै।
बै हंस’र पड़ूत्तर देवता—मां, थारी आसीस चाइजै। बैठा-बैठा रा गोडा जुड़ जासी। हाथ-पग चालै जितरै मेहनत-मजूरी करणी चाइजै।
सासूजी कैवता-मेहनत करता-करता ई थारा बापूजी भर जवानी में बुहा गया बर म्हनै दुखियारण नै छोडग्या। बै तो जीवता रह्या जितरै आपरो फरज पूरो निभायो पण लारै म्हारै सिर माथै भाखर जितरो भार छोडग्या।
बा पसवाड़ो फेरबा लागी तो रिंकू बींनै काठी पकड़ली। अेक हाथ मां रै हांचल माथै राख्यो—दूध पीवतै टाबर री दांई। रिंकू हांचळ घावणो तो छोड दियो हो पण हाल हांचळां रो नेह नीं छूट्यो। विमला अध जागती-सी फेरूं सुपना देखण लागी—रिंकू बाटकी मांयलो चूरमो खावै। बो चूरमो खावै थोड़ो अर खिंडावै घणो हो। भोरा चुग-चुग’र कणाई खुद खावतो तो कणाई मां रै मूंढै में घालतो। मां मुळक’र रिंकू नै छाती रै चेप लियो।
विमला पाछी जागगी। पसवाड़ो फेर परी टाबर नै नेड़ो लियो। आपरो हांचळ मूंढै में दियो। रिंकू आदत मुजब सूखा हांचळ होलै-होळै चूसबा लाग्यो।
विमला फेरूं सोचबा लागी—बींरै आस मंडी तद सासूजी नै कितरो हरख हुयो हो। सगळा देवी-देवतावां री जात बोल दी। बा थोड़ी-सीक साथी चालती तो सासूजी उणनै टोकता-बेटा, होळै चाल। इत्ती के खथावळ है? कीं ध्यान राख्या कर। म्हैं लाज सूं गड जावती। मन में सोचती, मांजी जूनै विचारां रा है।
विमला बांरो मन राखण सारू चुप रैवती। बांरै कह्यै मुजब बरतती। रिंकू रो जलम हुयो जद डोकरी गळी-गुवाड़ में गुड़ बांटयो। लोगां कह्यो—मांजी, इतरो खरचो क्यूं करो?
— बेटा! मोकळा बरसां पछै बडेरां रै भाग सूं इण घर में थाळी बाजी है। आज रै दिन तो खरचो करूं जितरो ई थोड़ो है। देवणवाळो दाता है, म्हारो कांई माजनो है।
संसार री सगळी मावां री इच्छा मुजब डोकरी घणो ई चावै ही कै बेटा-पोतां रै खांधै चढ’र जावूं। पण भाग रो लेखो कुण जाणै? रेख में मेख कुण मारै? बींरी आंख्यां आगै बेटै पग पसार दिया। डोकरी भींतां सूं सिर फोड़बा लागगी। पण कर्यो कांई जावै? विधाता रा आंक टळै कोनी अर मौत आगै किणी रो जोर चालै कोती। अेक सहारो पैली ई अध बिचाळै हाथ छिटकाय दियो अर दूजो ई जावतो रह्यो। डोकरी आपरै काळजै नै पाखाण रो बणाय लियो। भर जवानी में विधवा हुई तो खोळै री लट नै पढाय-लिखाय नै तैयार करो। नौकरी लागी। ब्याह कर्यो। रिंकू रो जलम हुयो तो डोकरी आपरा लारला सगळा दुख भूलगी। पण सुख रा दिन ओछा हा। डोकरी हिम्मत नीं हारी। सोच्यो—जे म्हैं हिम्मत हारगी तो इण टाबर नै कुण संभाळसी? उणा रिंकू अर म्हनै छाती रै चेप लिया। बगत रै सागै पीड़ रा घाव भरवा लागग्या। पीहर आवणो-जावणो शुरू हुयो। दो-तीन बरसां पछै माईतां बींरै सांम्है अेक बात राखी—थारै सांम्है भाखर जितरी जिंदगाणी पड़ी है। आ कियां निभसी? इयां कर नीं, छोरै नै म्हांरै कनै छोड दै अर थूं दूजो ब्याह करलै। काल नै कीं ऊक-चूक हुयगी तो काळो मूंढो हुय जासी। नाक कट जासी।...
विमला आ सुणतां ई बिखरगी। बा सोचबा लागी—कांई म्हारो जीवण इत्तो सस्तो है? मांचै अर थाळी आगै म्हैं भिसळ जासूं? डोकरी ई तो कीं आस राखती हुसी... बींरी आस तो रिंकू है ई.... म्हैं उणानै किण रै भरोसै छोडूं? रिंकू म्हारो अंश.... रिंकू डोकरी रो वंश.... उणारी अमानत!
विमला रै मन में जोत-सी जागी ना-ना... म्हारो जीवण इतरो ओछो कोनी। म्हैं किणी रै सागै विश्वासघात कोनी करूं। म्हारै हाथां डोकरी नै मौत रै मूंढै में कोनी नांखू। म्हारै अंश नै लावारिस कियां छोड सकूं? म्हैं रिंकू नै पाळ-पोस’र मिनख बणासूं। खुद कमासूं अर दादी-पोतै नै पाळसूं।
रिंकू रै माथै हाथ फेरती अर डोकरी रै सांम्है देखती विमला रै मूंढै माथै उजास पळकै हो।...