अेकर अेक जाट नै काळिंदर सरप डसग्यौ। झाड़ौ दिरावण सारू वौ झाड़ागर रै पाखती गियौ। झाड़ागर गोरियावर रै झाड़ा रौ अेक रिपियौ अर काळिंदर रै झाड़ा रा रिपिया पांच लेवतौ हौ। जाट जीव रौ बोदौ घणौ हौ। मन में सोच्यौ झाड़ा-झाड़ा तौ सगळा अेक सरीखा व्है। दुनियां नै ठागौ बतावण सारू अै झाड़ागर ढपला करै। अै तौ फगत रिपिया कमावण री अटकळां है।
वौ झाड़ागर नै कळदार अेक रिपियौ पकड़ायनै कह्यौ— गोरियावर सरप डसग्यौ, नांमी झाड़ौ देदै।
झाड़ागर झाड़ौ देवण लागौ। झाड़ौ देवतां थोड़ी ई ताळ व्ही के जाट रा मन में डर वापरियौ— जे कदास न्यारा-न्यारा झाड़ा व्हैता व्है तौ! घर में साची बात तौ आ है के खायौ तौ काळिंदर, गोरियावर रौ नांव तौ कूड़ौ लियौ। झाड़ौ गुण नीं करियौ तौ हकनाक मारियौ जावैला। पण उण मळीच जीव सूं वत्ता च्यार रिपिया देवणी नीं आवै। वौ यूं ईं उपरवाड़ी कांम सारणी चावतौ हौ। झाड़ागर नै कह्यौ— भाईड़ा, म्हैं निजरां तौ गोरियावर देख्यौ, पण मिनखा देह है, भूल व्है सकै। थन्नै कांईं खरच लागै, भेळमभेळ अेकाध नांव काळियै रा ई परा लेई।