म्हनै किणी जरूरी कांम बिलाड़ा सूं देवळी जावणौ हौ। हरिपुर-रायपुर जावण वाळी मोटर रौ डलेवर रसीद भाई म्हारै खासौ सैंधौ है। म्हारै सुभाव मुजब म्हैं उणनै घणौ खराय, घणी-घणी भुळावण देय कह्यौ—रसीद भाई! म्हैं सफाखांनै जाय अबारूं पाछौ आवूं। थोड़ौ-घणौ मोड़ौ व्है जावै तौ मोटर ढाबणी पड़ैला। देवळी आज-रौ-आज पूगणौ जरूरी है, अैड़ी नीं व्है के...!

रसीद भाई मुळकनै कह्यौ—इत्ती भुळावण री कांईं जरूत, तौ आपरै घर री मोटर है।

सफाखांनै गियां जोग री बात अैड़ी बणी के म्हनै खासौ मोड़ौ व्हैगौ। धोती रा खोळा ऊंचा टांग दौड़तौ-दौड़तौ टेसण माथै पूगौ तौ उठै अेक गाडी नीं। आज तौ जबरी कळा व्ही। रसीद भाई बिचै म्हनै खुद रै माथै रीस घणी आई। लाई मोटर ढाबै तौ कित्तीक ताळ तांईं ढाबै! पण सफाखांना सूं वैगौ आवण रौ मारग नीं हौ।

म्हनै दूजै दिन देवळी में मोटर माथै आयोड़ौ देख रसीद भाई इचरज सूं पूछ्यौ—वाभा, थें अठै कीकर? कांईं कोई दूजी टेक्सी भाड़ै करनै आया।

म्हैं जबाब दियौ—साइकल भाड़ै करनै आयौ। हरस रा देवळ कनै आयौ जित्तै पांणी ओसरग्यौ। ठेठ सिंझ्यां तांईं घणौ दोरौ पूगौ।

रसीद भाई कह्यौ—जद तौ वाभा थें घणा फोड़ा भुगतिया। अैड़ी ठाह व्हैती तौ म्हैं सफाखांनै गाडी लियातौ। घणी बाट जोई। सेवट बिरखा देखनै रवांना व्हैणौ पड़ियौ। म्हैं जांण्यौ के मतौ केंसल कर दियौ दीसै। बरसात रौ डर नीं व्हैतौ तौ आध घड़ी फेर ढब जावतौ।

म्हैं कह्यौ—कालै गाडी चूकणा सूं तौ घणौ नांमी कांम रह्यौ। जे बैठनै आय जावूं तौ गजब व्है जाता! म्हैं चलायनै छेबासी देवण सारू मोटर माथै आयौ हूं।

रसीद भाई सांनी में समझणियौ। छेबासी देवण री बात सुणतां ईं झट बोल्यौ—कांईं मारग में कोई जोरदार बात हाथै आयगी!

म्हैं मुळकतौ थकौ कैवण लागौ—हां, बात तौ इज व्ही। रसीद भाई, कांईं बतावूं कालै मोती अमोलक हाथ लागौ।

रसीद भाई कह्यौ—लिखियां सुणांणी पड़ैला। कदै गलतियां ईं कांम काढ़ देवै। अबै लारै छोडण रौ पिछतावौ कोनीं।

पछै मिसखरी करतौ बोल्यौ—मोड़ी-वैगी ‘वांणी’ में छापौ तौ लिखजौ के रसीद भाई रै लारै छोडणा सूं बात लाधी।

म्हैं मिसखरी रौ जबाब पाछौ मिसखरी में ईं दियौ—कठै अैड़ी नीं व्है के बात लाधण रै मिस थूं आगै फेर कदै गाडी ढाबै नीं!

रसीद भाई जबाब में जोर सूं हंसियौ।

कालै गाडी हाथ नीं आवण रै कारण पैला तौ म्हनै अणूंती जूंझळ छूटी, पण तौ जूंझळ रै उपरांत देवळी तौ पूगणौ हौ इज। सीधौ साइकल वाळा री दुकांन गियौ। अेक नवी साइकल भाड़ै लेय देवळी रौ मारग पूछतौ पैडल दाबिया।

बिरखा माथै आयगी ही—अबै बरसी, अबै बरसी।

हरस रा देवळ रै गळाकर निकळियौ के बिरखा ओसरगी। चारेक खेतवा तांईं तौ मांमूली छांटा-छिड़का व्हिया, पण पछै तौ हरड़ाट माचग्यौ। म्हैं बरसता मेह में ईं साइकल दाबतौ रह्यौ। कोस डोढ़ैक भांय दाबी जित्तै तौ मारग में गोडा-गोडा तणौ पांणी बहण लागौ। पछै साइकल झाल्यां पाळौ हालण लागौ। ज्यूं-त्यूं करनै कोसेक रौ पेंडौ फेर पार करग्यौ। बहतै पांणी साइकल झेल्यां धकै जावणौ अंगै दूभर व्हैगौ तौ म्हैं टळ परौ नै मारग रै पसवाड़ै सांम्ही दीखती प्याऊ में थोड़ी ताळ सुस्तावण रौ मतौ करियौ। साइकल भींत सूं अड़ायनै गाभा निचोया। माथा रौ पांणी झाड़ियौ। पगरखियां खोलनै बरांमदा में गियौ। सात-आठ आदमियां री मंडळी जमियोड़ी ही।

अेक आदमी म्हारै सांम्ही देखनै बोल्यौ—आप मौका माथै ठीक आया। मेह ढबियां वहीर व्है जाजौ। जित्तै अेक बात सुणलौ। नैड़ा-नैड़ा चौखळा में इण बाबा जैड़ौ बातपोस नीं है। बात सरू व्हैती इज ही के थें आयग्या।

मंडळी साथै बैठतां म्हैं कह्यौ—म्हैं तौ खुद बातां रौ खास रसियौ हूं। हां, बाबौजी बात रा झपीड़ उडण दौ। पलकां ऊंची करनै बाबौ म्हारै सांम्ही जोयौ—ओपतौ धौळौ खत, माथै धौळौ पोत्यौ अर धौळी अंगरखी। गळै सोना रौ फूल पोयोड़ौ।

बाबौ म्हारै सांम्ही देखनै पूछ्यौ—वाभा, थें रोटी जीमनै आया के नीं, म्है तौ सगळा खायनै अबारूं बैठा इज हां।

म्हैं कह्यौ—बाबा, रोटी तौ जीम्योड़ी है, पण बात रै बिचाळै थें म्हनै कांईं सवाल बूझ्यौ?

बाबौ खत नै पंपोळतौ कैवण लागौ—आ बात इज अैड़ी है, सुणियां पछै रोटी खावण रौ मन नीं करै। नीं खाई व्है तौ संकौ मत राखज्यौ। म्हारै कनै भातौ उबरतौ पड़्यौ है।

‘नीं बाबा, म्हैं तौ धुड्ड व्हियोड़ौ हूं, थांरी मेहरबांनी चाहीजै।’

‘तौ पछै सावळ निरांत सूं बैठनै सुणौ’ बाबौ कैवण लागौ—इण प्याऊ नै देख्यां म्हनै अेक प्याऊ वाळा कूंभार री बात याद आयगी। म्हारी मां म्हनै बाळपणै बात सुणाई ही। थें जांणता व्हौला के बाबौ जलम सूं ईं अैड़ौ व्हैला। पण नीं, म्हैं खुद नव महीना मां रा ओदर में लुटियौ, पांखां बारै आयौ तद के-कें करनै रोयौ, गुडाळियां चाल्यौ, थड़ियां करी अर तुतळावती वांणी में बोलणौ सीख्यौ, धौळा तौ दिन लाग्यां आया है। बाळपणै बातां सुणण रौ कित्तौ कोड हौ! रोटी खायनै नित धापूं, पण बातां सुणनै कदै नीं धाप्यौ। अबै तौ वै बातां ईं कठै! म्हारै बाळपणै गिगन रा तारा बातां सुणण सारू तरसता! म्हनै तौ हाल टाबरां री गळाई बातां रौ चाव है। भगवांन जांणै म्हारा मन में क्यूं विसवास बैठोड़ौ है कै अेकर मरियां पछै कोई बात सुणावै तौ पाछौ जीवतौ व्है जावूं।

तौ रांमजी भला दिन दै—अेक हौ कूंभार। उणरै फगत तीन जणां रौ भारीगरौ हौ—धणी-लुगाई नै तीजौ बेटौ। कूंभार रौ बेटौ दस बरसां रौ व्हियौ जणा बात जलमी। अेक दिन उणरै गांव रा लखपति सेठ खुद चलायनै कूंभार रै घरै आया। कूंभार चाक छोडनै वारै सांम्ही गियौ। सेठ कैवण लागा—भाया अेक बात अळूझगी है, थूं चावै तौ सुळझा सकै। पचास बरसां रै पछै म्हारा घर में टाबर रौ जलम व्हियौ। इण हरख रौ थें गिंवार लोग थाग नीं पा सकौ। बेटा रै जलम री खुसी में अेक लांठी प्याऊ दिरावणी चावूं। गांवां रै मांय प्याऊ तौ हर कोई दिरावै, इण में कीं खास बात कोनीं। म्हैं चार खेजड़ा वाळा चौरस्ता रै माथै अेक प्याऊ अर अेक धरमसाळ बणावणी चावूं।

कूंभार सोच-समझनै कह्यौ—उण चौरस्ता सूं तौ कोई गांव नैड़ौ कोनीं। तीन कोस सूं किणी गांव रौ आंतरौ कम कोनीं। ऊजड़ निंदरोही में प्याऊ घणी कांम री नीं व्हैला।

सेठ कह्यौ—आ इज तौ बात है, थां लोगां में समझ रौ तौ लवलेस कोनीं। गांवां रै मांय तिरस लाग्यां घर-घर पांणी त्यार। पांणी री असली कीमत तौ रोही में ईं पिछांणीजै। उण चौरस्तै बीस गांवां री ढूक है। प्याऊ रौ अैड़ौ मौकौ सौ-सौ कोसां ईं नीं लाधै। थूं प्याऊ रौ जिम्मौ लेवै तौ म्हारौ मन पूरौ मांनै। म्हैं तौ रिपिया भांगण रौ सीरी हूं, पण कोई जोगौ आदमी नीं मिळै तौ वै रिपिया सगळा अकारथ जावै। थारी चौताळा में सिरै पेठ है। प्याऊ रौ कांम खास थारै भंग रौ है। पगार पूजती देवूंला। माटी पकावण रा इण छातीकूटा बिचै कांम घणौ वत्तौ है। स्वारथ-रौ-स्वारथ अर परमारथ-रौ-परमारथ। उठै धरमसाळ रै अड़ौअड़ थारै अेक साळ बणाय देवूंला। बारूंमास नित आठ-पौर बत्तीस घड़ी उठै रैवणौ पड़ैला। थूं तौ समझ लीजै के थारौ जलम उठै व्हियौ। थारौ गांव अर घर उण प्याऊ नै समझजै। किणी वगत कोई बटाऊ तिरसौ अर बिना बिसाई खायां नीं जावणौ चाहीजै। मूंडै मांगी पगार लै, जे उण में धांमा-धांमी करूं तौ म्हारी गळती। पण म्हैं कह्यौ जका कांमां में भूल नीं व्हैणी चाहीजै।

कूंभार कह्यौ—आप कीं तेवड़नै अठै आया हौ, ना दियां आपरौ अर म्हारौ भेळौ पोचापौ लागै। आप सुभ-मौरत री घड़ी नींव दिरावौ, म्हारा कांम में कदै खांमी नीं रैवैला।

सेठ राजी-राजी कूंभार रा घर सूं वहीर व्हिया। जोसी सूं टीपणौ बंचाय प्याऊ अर धरमसाळ री नींव रौ नांमी मौरत निकळवायौ। सेठां कनै नांणा री कोताई तौ ही कोनीं। थोड़ा दिनां में तीनूं ठांव बणनै संपूरण व्हैगा। जागरण दिरायां रै दूजै दिन वौ कूंभार घरबार समेत उठै डेरा दै दिया। टांका रौ पालर पांणी न्यारौ, बेरी रौ वाकळ पांणी न्यारौ। बटावुवां नै पूछ-पूछ पावै। उन्हाळै मूंणां मटकियां में डोढ़ौ पांणी भरियोड़ौ राखै। ठाडौ हेम। धरमसाळ रौ सवार-सिंझ्या वाइदौ काढ़ै। मारग चालता बटावू निसंक रातवासौ लेवता। गांव-गांव सेठां बिचै कूंभार रौ जस घणौ फैलियौ। अेकर प्याऊ रौ ठाडौ पांणी अर कूंभार री मीठी बोली सुणियां पछै बटाऊ बखांण करता को धापता नीं।

हां, अेक बात वळै, वौ कूंभार हेटै रा भंवारां आरणिया छांणां अर सूखी किटकिलियां सूं भरियोड़ा राखतौ। हाथां चुग-चुगनै। रोटी करणिया बटावुवां नै बिना पूछ्यां बळीतौ झिलाय देवतौ। रात रा कैड़ी अगाढ़ ऊंघ में सूतौ व्है, किणी बटाऊ नै दूजौ हेलौ मारण रौ कांम नीं हौ।

उणरौ बेटौ अणूंतौ सालस, स्यांणौ, समझणौ अर इग्याकारी हौ। दीखणा में ईं फूठरौ। प्याला व्है जैड़ी आंख्यां, गोळगट्ट गोरौ उणियारौ, तीखौ नाक, सुघड़ बत्तीसी, लांबी गाबड़ अर मीठी बोली। बटावू उणरौ घणौ लाड राखता।

अेकर समाजोग री बात अैड़ी बणी के दिसावर जावतां अेक सेठ उठै आयौ। वारै साथै सेठांणी अर दोय बेटा हा। प्याऊ तांईं आवतां-आवतां सेठांणी सरधाहीण व्हैगी ही। कूंभार समझायौ तौ वै आगै जावण रौ मतौ फोर दियौ। सेठांणी री आंख्यां देखनै वौ कह्यौ—आंनै लू लागगी है। पूरण साजा व्हियां बिना म्हैं अठा सूं चुळण नीं दूंला।

कूंभार आपरा बेटा नै हीड़ा करण सारू कह्यौ। आला गमछा सूं वौ सेठांणी री लू झाड़ी अर दोय-तीन वळा अमलांणौ पायौ। दोय दिन पछै सेठांणी साव साजी-सूरी व्हैगी। तौ कूंभार माडांणी वांनै ढाबिया। कूंभार रै उण सालस बेटा माथै सेठ अणूंता राजी व्हिया। पेट सूं जायोड़ा अैड़ा हीड़ा नीं कर सकै। जे अळगै दिसावर अैड़ौ जोगौ टाबर साथै चालै परौ तौ कैड़ौ नांमी कांम बणै। सेठ कूंभार नै आपरै मन री बात दरसाई। पैला तौ कूंभार साफ नटग्यौ। कह्यौ—अेकाअेक बेटौ है,। अळगै दिसावर भेजण सारू जीव कह्यौ नीं करै। आपरै साथै रह्यां निसैवार कमाई व्हैला, पण फगत कमाई सारू बेटा नै अळगौ कीकर धकेलूं? सवार-सिंझ्या तीनूं भेळा बैठनै लूखी-सूखी खाय माथै ठाडौ पांणी पीलां तौ म्हांनै जांणै सुरग रौ राज लाधौ। देह सूं जीव निकळियां जे म्हैं जीवतौ रैय सकूं तौ बेटा रै दिसावर गियां म्हैं जीवतौ रैय सकूं। इणरी मां रौ तौ बात सुणतां ईं काळजौ ऊंचौ चढ़ जावैला। आपरौ तौ जांणूं जित्तौ बडापणौ है, ना देवतां घणी लाज आवै पण...!

बाबौ कैवण लागौ—माईतां रा इण दरद नै बेटा नीं समझै। फगत बिछोव री बात करियां उण कूंभार री आंख्यां जळजळी व्हैगी। गळौ रुंधग्यौ। उण सूं आगै बोलीजियौ कोनीं।

कूंभार री हालत देखी तौ सेठ बिचाळै कैवण लागा—म्हैं थारा इण मरम नै भलीभांत समझूं। पण म्हैं थारा बेटा रा सुख वास्तै बात चलाई ही। दिसावर में गियां मिनख बण जावैला। अठै ठोठ-रौ ठोठ रैय जावैला। हीरा री कीमत तौ जमीं सूं बारै निकळियां पछै व्है। म्हारै साथै वौपार में इणरौ थोड़ौ घणौ सीर राख देवूंला। आज तौ थूं सेठां रै चिणायोड़ी प्याऊ माथै बैठौ पगार लेवै, पछै थूं खुद गांव-गांव प्याऊ लगावण जोग बण जावैला। गैला, डीगी हवेलियां चिणतां थारै किसी जेज लागैला! बावळा, माटी साथै आफळियां माटी हाथ लागैला। बांणियां रै किसौ छोगौ बाधोड़ौ व्है, थें लोग बिणज करौला तौ थारै घरै लिछमी रौ बधापौ व्हैला। मतीरा नै ऊंडौ धूळ में गाडियोड़ौ राखै तौ थारी मरजी। सेवट थांरौ नफौ-नुकसांण थांनै सोचणौ है, म्हैं बिरथा थोथी झिकाळ करूं तौ कांईं सांधौ लागै!

प्याऊ री तिबारी में आड़ंग रै कारण अणूंतौ अमूंझण लागौ। अंगरखी री कसां नै खोलतौ-खोलतौ बाबौ कैवण मंडियौ—बेलियां, धन री फटकार सब सूं खोटी व्है। मोटा-मोटा तिरसिंघजी इणरी मार नीं झेल सकै, पछै माटी खूंदणिया बापड़ा उण कूंभार रौ कांईं ठरकौ के वौ धन री फटकार आगै टिक सकै। सगळी ऊमर माटी सूं बाथेड़ौ करियौ, पछै सोना री लाळसा मन में कीकर पळकती! पण सेठ बातां-ईं-बातां में धन रौ थोड़ौ-सो चांनणौ बतायौ के उणरी आंख्यां चूंधीजगी। कूंभार रै—अर पक्की हवेली! नीं नीं, बात कदै व्हैणी है! अर जे व्है जावै तौ! पछै कांई पूछणौ! कूंभार नै लखायौ के कोई आपरा अदीठ हाथ सूं उणरै माथा री अळूझियोड़ी नसां नै सुथराई सूं सुळझावै है।

वौ अटकतौ-अटकतौ कैवण लागौ— सेठां, म्हैं तौ सोरौ-दोरौ बेटा रौ बिछोव झेल लेवूंला, अलबत मोट्यार हूं। इणरी मां रौ जीव तौ तूंबी री गिर बिचै घणौ काचौ है। म्हैं ज्यूं-त्यूं करनै मनावण री जुगत बिठावूंला। मां रौ काळजौ है, कीं दोरी मांनैला।

सेठ साचा मन सूं कूंभार रा बेटा नै आपरै साथै दिसावर लै जावणी चावता हा। दोय बातां रै वास्तै—अेक तौ सेठांणी री मांदगी में वौ उणरा हीड़ा घणा करिया, दूजौ सेठां नै वौ होणहार अणूंतौ लखायौ—कांनां री लोळां जाडी, उभरियोड़ौ लिलाड़, दांतां रौ चौकौ कीं मोटौ—मांय थोड़ी-सी छेती अर मूंडा रै जीवणी बाजू आंख सूं थोड़ौ-सीक हेटै अेक मस्सौ। छोरौ अवस भागदारी व्हैला। इणरै साथै रह्यां सेठां नै कदास अणूंतौ नफौ व्है सकै। सोना में जांणै सौरम भिळी!

वै अेकर पैला इण भांत अेक बांमण रा टाबर नै आपरै साथै दिसावर लेग्या हा। वांरा बिणज में हजारूं रिपियां रौ फायदौ व्हियौ, कदै घाटौ नीं गियौ। छोरा री निकाळा रै कारण अकाळ मौत व्हैगी, नींतर वै आज दिन तांईं किरोड़पति व्है जाता। इणी वास्तै आपरै नफा री खातर वै कूंभार रा बाळक रौ आपरा बिणज में सीर राखणी चावता हा।

सेठ कह्यौ—थें दोनूं सावळ निरांत मन सूं बैठ घर में विचार करलौ। अैड़ी नेक सला देवणियौ थांनै ऊमर में ईं को मिळैला नीं। आपरौ नफौ नुकसांण सोचण री थां लोगां में समझ व्हैती तौ इण भांत फोड़ा क्यूं भुगतता?

कूंभार रै माथा री नसां खासी-भली सळूझगी ही। वौ आपरी घरवाळी नै समझावण सारू बात करी के वा तड़कनै कह्यौ—म्हनै समझावण नै आया है, पैला थांरा हिया माथै हाथ धरनै सोचौ के अेकाअेक बेटा नै दिसावर भेजण सारू थें राजी व्हिया तौ व्हिया इज कीकर? अपारै धन चाहीजै कठै है? प्याऊ में बैठा बटावुवां री सेवा करां, सवार-सिंझ्या रामजी रौ नांव लेवां, टंकौटंक खावण नै रोटी मिळै, मिनख थांरा बखांण करै अर वै सेठ अपारै माथै भरोसौ करनै प्याऊ, धरमसाळ, ओरी, टांकौ अर बेरा रौ इत्तौ खरच करियौ अर थें खुद सेठ बणण रा सपना जोवौ! दुनिया रौ धन दुनिया रै पाखती रैवण दौ, बिरथा लाय-पाय में कीं आंणी-जांणी नीं।

कूंभार सोच्यौ के बात तौ चिपतां ईं अंवळी पड़गी। नींबड़ा री सिळी सूं दांत कुचरतौ बोल्यौ—थारै नीं जचती व्है तौ आहळांणौ करां, म्हैं तौ थारौ मन जांणण सारू प्रस्तावू बात करी। बेटा नै भेजां के नीं भेजां बात दूजी है। पैला आछी तरै घर में विचार तौ करलां, इण में कांईं हांण!

कूंभारी कह्यौ—अपांनै जिण गांव नीं जांणौ, उणरौ मारग क्यूं पूछणौ! इण सारू नीं तौ कीं सला लेवणी अर नीं इण माथै कीं विचार करणौ। कूंभार रौ खोळियौ मिळियौ है अर अपांनै खोळियौ पाछौ सूंपणौ है। सेठ बणियां जे अमर व्हौ तौ बात दूजी है। खाली हाथ रोवता आया अर लारै घरवाळां नै रोवता छोड पाछौ खाली हाथ जावणौ है। पछै म्हारी समझ में नीं आवै के थें धन जोड़ण सारू मन क्यूं डुळायौ?

कूंभार होठां माथै जीभ फेरनै कैवण लागौ—थूं म्हनै इत्तौ बावळौ जांणै है कांईं के म्हैं बिरथा मन डुळायौ! म्हैं तौ थारा सुख री खातर कीं सोच-विचारनै हांमळ भरी ही। थारै नीं जचती व्है तौ पछै म्हारै अंगै नीं जचै। पण म्हैं पूछूं जिण बात रौ थूं सुभट पड़ूत्तर दीजै। कांईं थारा जायोड़ा नै थूं मोटौ मिनख बणतौ नीं देखणी चावै? कांईं थारा डील माथै ओडी भरियौ सोनौ पळपळाट करतौ व्है तौ थनै खारौ लागैला?

कूंभारी मूंडौ मस्कोरनै बोली—करौ मती थें साव विलळी बातां। आज तौ अपां कनै सोना रा नांव माथै तुस कोनीं अर थें ओड्यां रै मूंडै सोना री बात करौ, बात सपना में ईं कदै व्हैणी है! कूंभारां रै घरै जलमियौ बेटौ मोटौ मिनख बणनै कित्तौक बणैला, सुथराई सूं सांतरा बासण घड़लै, इण सूं आगै उणरौ जोर कोनीं। पछै आं निजोरी बातां सारू क्यूं बिरथा माथौ पचावौ। व्हैणी-जांणी तौ कीं कोनीं अर लाळसा बधायां संताप उपजै जकौ सवाय में।

अबकी कूंभार जोर देयनै कह्यौ—आ इज तौ बात है! सांम्ही पुरसियोड़ी थाळी मांय सूं कवौ लेय मूंडा में नीं लां तौ रोटी मतै खाईजै? कवौ लियां पछै दांत घिसणा पड़ै। थूं ईं बता जे अपां ठांव नीं घड़ां, के प्याऊ माथै कांम नीं करां तौ अपांरौ पेट भरीजै! जैड़ा कळाप करांला वैड़ा फळ हाथ लागैला। माटी खूंदिया तौ पगां रै माटी लागैला। थूं सेठां नै पूछ तौ खरी—वै बीस बरसां पैली लोटौ-डोर लेयनै दिसावर गिया हा, आज वारै लाखां री माया है। जद वारै तौ कीं आसरौ नीं हौ। आज तौ वै बेटा रा नांव सूं आपरा बिणज में सीर राखण सारू त्यार है, आपरै साथै लै जावै अर दिसावर में ईं साथै राखैला। घर रौ टाबर व्है ज्यूं जांणैला। अबै थारै नीं जचती व्है तौ म्हारै कीं आंट कोनीं। मूंडौ मगदूर सेठां रौ जकौ अपांरा बेटा नै माडांणी लै जावै!

कूंभारी कह्यौ—सेठां माथै फालतू क्यूं रीस करौ। अपारै मन-परबारौ माडांणी लै जावण री बात तौ वै करी कोनीं।

कैय वा आंगळियां रा नख दांतां सूं कुरटती थोड़ी देर सोचण लागी। उणनै लखायौ के कोई आपरा अदीठ हाथ में बुड़बुटियौ भाटौ लेय उणरै माथा री नसां घिसै है। बोली—म्हैं लुगाई री जात इत्ती कांईं समझूं, थारै जचै ज्यूं करौ।

बाबौ म्हारै सांम्ही देखनै थोड़ौ मुळकियौ। पछै दोय-अेक खेंखारा करनै कैवण लागौ—आ छळगारी माया इणी भांत छळिया करै। उणरै झीणा छळ रौ पतौ पड़ जावै तौ पछै रोवणौ किण बात रौ! इणरा छळ आगै मोटा-मोटा भूपतियां रौ थाग नीं लागै पछै माटी सूं बाथेड़ौ करण वाळा उण कूंभार-कूंभारी री कांईं जिनात। सोना री अदीठ पळपळाट आगै वांनै असूझतौ व्हैणौ पड़्यौ!

सेठां रै साथै वहीर व्हैता बेटा रौ उणियारौ देखनै दोनूं छबरां-छबरां घणा रोया। कूंभारी डुस्किया भरती बोली—सेठां, आज म्हारौ मन नीं मांनै, कालै वहीर व्है जाजौ। हाथ जोड़नै म्हारी इज वीणती है। मां रा जीव नै सौ धया है। पल-पल में बदळै। काठी छाती राखणी म्हारै हाथ री बात कोनीं।

सेठ मुळकता थका कैवण लागा—म्हारै तौ कीं नीं, थूं कैवै तौ कालै तांईं वळै ढब जावूंला। थूं जांणती व्हैला के कालै दिन ऊगैला कोनीं! आज री गळाई कालै इणी भांत बिछोव झेलणौ पड़ैला। पण कालै म्हैं नीं ढबूंला। थें थांरी सोचलौ।

कूंभारी कह्यौ—नीं सेठां, कालै थांनै भवै नीं ढाबूं। फगत आज-आज री मया चावूं।

तठा उपरांत सगळै दिन कूंभारी आपरा बेटा नै छाती सूं चिपायां राख्यौ। रात रा भेळौ सुवाणियौ। बेटा नै तौ नींद आयगी, पण वा सगळी रात जागनै उणरौ उणियारौ निरखती रीवी। अेक पल में रात ढळगी। सूरज तौ आपरौ काळौ मूंडौ लेयनै वगत माथै ऊगियौ इज।

म्हैं बाबा री आंख्यां सांम्ही जोयौ—मां बेटा रै बिछोव रौ मरम दरसावतां बाबा री आंख्यां में आंसूं छळक आया। गळगळा कंठ सूं कैवण लागौ—म्हैं आज पैला जिण किणी नै बात सुणाई, बिछोव रौ दरद म्हारा सूं नीं सुणाइज्यौ। थें मतै समझ जाजौ। अै बातां सुणियां समझ में आवै जैड़ी है कोनीं।

कूंभार, कूंभारी रौ जीव नीं धाप्यौ तौ वै दोय-तीन कोस तांईं सेठां रै साथै बेटा नै पुगावण गिया। सेठ वांनै समझाय नीठ मांडांणी पाछा मेल्या। कह्यौ—भला मिनखां, ठेठ दिसावर तांईं साथै चालण रौ विचार है कांईं! वै दोनूं गाडी रै साथै पाळा खुचखुचियै चालता हा अर बाकी सगळा गाडी माथै बैठा हा।

गाडी माथै बैठा बेटा नै वै धकै जावतां देख्यौ तौ वै अेक ठौड़ ऊभा अेक-दूजा रै सांम्ही देखनै ठळाक-ठळाक रोवण लागा। बेटा रै मरण री सबूरी वै करमां माथै दोसण देय झेल लेवता, पण उणरौ बिछोव तौ मरणा बिचै वत्तौ दुखदाई व्हैगौ! वै निरी ताळ तांईं गाडी री उडती खेह देखता रह्या। पछै पाछा वळता अेक-दूजा नै समझावण लागा—अपांरा सुख री खातर बेटा रौ जमारौ क्यूं बिगाड़णौ! लांठौ मिनख बणनै अलेखूं माया रौ धणी बणै तौ अपांनै राजी होवणौ चाहीजै। भगवांन इणरी हजारी ऊमर करै अर सगळा मुलक में इणरी कीरत बधै। अपां तौ ज्यूं-त्यूं इणरा सुख रै आसरै दिन तोड़ लेवांला।

कूंभारी कह्यौ—बाकी सगळी बातां तौ ठीक व्हैला, पण सेठ सोळा बरसां तांईं अठै भेजण रौ नांव नीं लेवैला, अपां इण वाचा में भूंडा झिलग्या। म्हनै तौ अेक पल जुग जित्तौ लखावै, पछै सोळा बरस कद आवैला?

कूंभार उणनै भरमावण सारू मिसखरी करतां पड़्त्तर दियौ—सोळा बरस तौ सोळा साल बीत्यां ईं आवैला। थूं आज सूं ईं सोच करण लागगी तौ पछै दिन धकैलणा दूभर व्है जावैला।

कूंभारी आंसू पूंछनै कैवण लागी—वौ सोना रौ सूरज ऊगै जिण दिन बेटा रौ उणियारौ पाछौ देखूं। दुनिया में उणरै नांव री कीरत आपरै कांनां सुणूं। वौ दिन देखण वास्तै म्हैं विखौ कबूल करियौ हूं। सेठां रा बोल फळै। म्हारा बेटा नै लांठौ मिनख बणियोड़ौ निरखूं तौ आज रै विखा री दाझ ठरैला। काळजौ चीर नै बतावूं तद थांनै म्हारौ धांमलौ निगै आवै!

दस-पंद्रै दिनां तांईं दोनूं लोग लुगाई चितबंगिया व्है ज्यूं रह्या। कूंभारी तौ बेटा रौ नांव लेय-लेयनै आखी रात वेलती। झिझकनै बैठी व्है जावती। बेटौ बैठनै गियौ उण गाडी रै चीलां सांम्ही देखती।

अेक दिन वा आपरा धणी नै कह्यौ—जे अपां कनै अणगिण संपत व्हैती तौ बेटा नै दिसावर कमाई सारू क्यूं मेलता? धन री लाळसा रै कारण जायोड़ा बेटा नै हाथां सीख देय अळगौ करणौ पड़्यौ। अबै म्हारा मन में केई वार बात जचै के दुनिया रा लोगां में धन बधावण री लाळसा नीं व्है तौ कित्ता सुख री बात है! जरूत परवांणै जरूतां पोखण सारू उत्तौ धन तौ हर मिनख रै चाहीजै, पण उण सूं वत्तौ व्हियां तौ बेजा कांम है! धन बधियां म्हारी जांण में मिनख रौ मोल घटै।

कूंभार कह्यौ—कठै गडियोड़ौ धन मिळ जावै तौ बेटा नै दिसावर जाय पाछौ लै आवूं। धन री लाळसा रै कारण बेटा नै हाथां सीख दीवी। कठै धन रौ दूजौ नांव तौ भगवांन नीं है?

कूंभारी बोली—इण बेरी सूं पांणी सींचती वगत पांचेक डोलियां सोना रौ राळौ निकळ आवै तौ कैड़ौ उम्दा कांम बणै! पछै किणी रा बेटा नै कमाई करण सारू दिसावर नीं जावण दूं।

कूंभार-कूंभारी भेळा बैठ नित हमेस नीं-नीं व्है जैड़ी अजोगती बातां विचारता रैवता। अेक दिन आधी ढळियां रै पछै कूंभारी आपरा धणी नै जगायौ। होळै-सीक उणरा कांन में कैवण लागी—अपां नित हमेस गडियोड़ौ धन लाधण रा लाडू खावां, बेरी में सोना रा राळा सूं डोलियां भरणी चावां। लिछमी तौ खुद नित हमेस पगां हालनै अपारै अठै आवै, पण अपां कदै उण माथै ध्यांन को दियौ नीं। धरमसाळ में अै दोनूं सेठ-सेठांणी सूता जकां कनै कित्तौ धनमाल है। सेठांणी तौ सोना सूं पीळी-जरद व्हियोड़ी है—पीळी-जरद! जांणै सोना री इज पूतळी व्है!

कूंभार कह्यौ—म्हारा मन में ईं केई वळा बात आई पण म्हैं थारा सूं डरतां कह्यौ कोनीं।

कूंभारी बोली—अबै म्हारौ डर तौ मिटग्यौ। पछै देखौ कांईं हौ!

बाबौ कीं रूखा सुर में कैवण लागौ—

अर उण दिन पछै वै दोनूं नीं तौ कीं देख्यौ अर नीं कीं सोच्यौ। जिण बटावू रै पाखती अणूंता धन रौ वेम व्हैतौ उणनै वै उठै गाड देवता। साख अर पैठ मोटी बात व्है—लोगां नै कदै उण कूंभार माथै वैम नीं व्हियौ। ज्यूं-ज्यूं खाडा में धन वत्तौ भेळौ व्हैतौ गियौ त्यूं-त्यूं कूंभार री बोली वत्ती मीठी व्हैती गीवी, वौ बटावुवां री घणी-घणी हाजरी बजावण लागौ।

धरमसाळ में तद जदै वां गारत व्हियोड़ा मिनखां री चरचा हालती तौ कूंभार खुद भेळौ बैठ अणूंतौ इचरज करतौ, आगै होय चरचा चलावतौ।

अेक दिन कूंभारी अंजसनै बोली—इण नाकुछ धन रै वास्तै बेटा नै दिसावर भेज्यौ अर अपां अठै ओडियां रै मूंडै धन भेळौ कर लियौ। बेटा नै गियां आठमौ बरस है। म्हैं तौ कैवूं के थें उणनै बुलायलौ। अपां तौ इण धन सूं ईं हवेलियां चुणाय लेवांला। गैणौ पैरण रा दिन तौ म्हारा नीं रह्या, पण पछै तौ ओपैला कोनीं।

कूंभार कह्यौ— अैड़ी बात तौ सोचजै मती। आठ बरस तौ वळै ज्यूं-त्यूं काढ़णा पड़ैला। लोगां नै थोड़ी-घणी भणक पड़गी तौ बिना मौत मारिया जावांला।

कूंभारी रै बात झट समझ में आयगी। अेक नवी बात रौ उणनै ध्यांन आयौ। बोली—नीं व्है तौ वींदणी नै अठै बुलाय लेवां, अपांरा कांम में मदत रेवैला। मोट्यार टाबर है, अबै अपां गौडै रैवै तौ ठीक है।

कूंभार फेर उणनै ओड़ौ देवतां कह्यौ—

थामें तौ अकल रौ वास्तौ कोनीं। अैड़ी बातां री पांचवै कांन सुरपुर व्हैगी तौ पछै धन दूजा भोगैला। थारा बस में व्है तौ आं बातां रा पाछा सपना मत देखजै! जे सपना में ईं थूं किणी नै भेद परगट कर दियौ तौ मारिया जावांला। वींदणी नै तौ बेटा रै आयां ईं बुलावांला। गाजां-बाजां रै साथै उणनै सासरै भेजांला। अबै तौ बरस कित्ता रह्या! आधौ विखौ तौ लंघाय दियौ। वौ खुद अणमाप धन कमायनै लावैला। अपांरौ धन उणरै भेळमभेळ जुड़ जावैला। किणी नै कदै वैम नीं व्है सकै। उणरै आयां दूजै बरस हवेली री नींव दिरावूंला। चार अैड़ी प्यावुवां बणावूंला। वींदणी दोय ओडी सोना-गैणौ पैरनै झिरोखा में बैठैला तद मिनख-जमारौ सुफळ व्हैला।

कूंभारी कह्यौ—अपांरी हवेली न्यारी चिणावांला। वींदणी सूं कम गैणौ म्हैं ईं नीं पैरूंला, पैला कैदूं। पछै थें कड़मड़ करिया तौ म्हैं थांरी अेक बात नीं मांनूंला।

यूं ओडियां रै मूंडै सोना-गैणौ अर आंम्ही-सांम्ही तिमंजली हवेलियां रा मंसोबा बांधतां-बांधतां पूरा सोळा बरस संपूरण होवण ढूका हा। कूंभार अर कूंभारी रै हरख रौ पार नीं हौ। अबै तौ वांरौ बेटौ आयौ के आयौ। कूंभार मोदीजनै कह्यौ—सोळै बरस जातां कांईं जेज लागी! जे म्हैं थारै कहै-कहै उण दिन मांन जावतौ तौ अै दिन कीकर देठाळौ देवता! अपांरी तौ जांणै काया बदळगी। माटी खूंदणा सूं तौ लारौ छूटौ! अपांरी न्यात में अपां जैड़ौ धनवंती आज पैला नीं तौ कोई व्हियौ अर नीं कोई व्हैला।

कूंभारी कह्यौ— अेकर तौ थांरौ मन राख दियौ। अबै मरियां ईं बेटा नै पाछौ दिसावर नीं जावण दूंला, कांन खोलनै सुभट सुण लीजौ। उणरी पांती रौ अपां अठै धन भेळौ कर लियौ। पण उण अबूझ छोरा वास्तै तौ रात रा सपना में ईं म्हारौ पेट बळै। थांनै कित्ता बरजिया तौ थें तौ नीं मांन्या। अपांरा बेटा सूं उणरौ उणियारौ कित्तौ मिळतौ हौ, जांणै साचांणी उणरौ छोटौ भाई व्है।

कूंभार बोल्यौ—अबै तौ थूं लारली बातां नै भूल जा। जे उण दिन थारौ कह्यौ मांन जावतौ तौ लारला सगळा अकरम चौड़ै आय जावता। पाप रौ घड़ौ फूट्यां सरतौ। म्हैं बिना सोच्यां-समझ्यां कोई बात नीं करूं।

उणी दिन सिंझ्या रा कूंभार अर कूंभारी रै भाग रौ अेक लखपति सेठ धरमसाळ में रातवासौ लेवण सारू आयौ। दिसावर सूं वौ हीरा-मोत्यां री गाडी भरनै लायौ हौ। उणरा गळा में पैरियोड़ा नवलखा हार माथै कूंभार अर कूंभारी री निजर पड़ी तौ वांरी अकल चूंधीजगी। इत्ती माया रौ धणी व्हैतां थकां ईं उण सेठ रै मोट-मरजाद नैड़ी आगी नीं ही। वौ वां दोनां सूं घणी घरविद री बातां करी। पूछ्यौ—बाबा, थारै कोई बेटौ कोनीं कांई?

कूंभारी गुमेज में पड़्त्तर दियौ—सेठां, थूकौ थांरा मूंडा सूं। बेटौ तौ म्हारै अेक सौ जैड़ौ है। सूरज सूं ईं इदक सरूपवांन। थें तौ उणरै जोड़ै ऊभ जावौ तौ ओपौ कोनीं। भूंडौ मत मांनज्यौ। थांरा सूं वौ दूणौ कांईं चौगणौ रूपाळौ है!

सेठ हंसनै जबाब दियौ—कठै है, देखूं तौ खरी। निजर नीं लाग जावै इण खातर लुकायोड़ौ राखौ?

कूंभार बोल्यौ—आपरी गळाई वौ दिसावर में धन कमावण सारू गियौ है। अबै तौ वौ आवण वाळौ है। नित ऊगतै सूरज उणरी बाट जोवां।

सेठ पूछ्यौ— अेकाअेक बेटा नै सोळै बरसां तांईं दिसावर राखण वास्तै थांरौ जीव कीकर धाप्यौ?

कूंभारी कह्यौ—सेठां, जीव तौ धाप्यौ ज्यूं ईं धाप्यौ, काळजौ बारै काढ़नै बतावां तौ थांनै जांच पड़ै, के जिण दिन बेटा रौ बिछोव झेलौला उण दिन ठाह पड़ैला के बेटा रै सिधायां जीव कीकर धापै!

सेठ तौ बातां रौ कोडायौ सूवण रौ नांव नीं लेवै, पण वां दोनां रौ उणरी बातां में मन नीं लागतौ। सेवट माडांणी वै आपरी ओरी में सूवण सारू गिया परा। जावतां-जावतां कूंभार सेठ नै पूछ्यौ—सेठां, ठारी खासी पड़ै, सी-ओढ़ण कम व्है तौ लावूं।

सेठ कह्यौ—नां, म्हारै पाखती बिछावणा पूरा है।

कैय वौ तौ धरमसाळ में जाय सूयग्यौ। कोई दोय-अेक घड़ी रै उपरांत कूंभार धरमसाळ में जाय होळै-सीक हेलौ मारियौ—सेठां, असैंधी ठौड़ सावळ नींद आई के नीं?

सेठां री तरफ सूं कीं जबाब नीं मिळियौ। वै तौ नेगम घोर खांचता हा। कूंभार रै तौ मनचींती व्ही। तरवार रा अेक झटका में सूतोड़ा सेठ रौ माथौ सूंत न्हाकियौ। सेठां सूं तौ पाछौ चुस्कारौ नीं व्हियौ। लप बिछावणां समेत गांठड़ी करनै खाडाबूच कर दियौ। गाडी-बळद धुराधुर धेड़ में न्हाकनै बूर दिया। हीरा-मोत्यां सूं भरिया कळस निसांण-पतांण करनै गाड दिया। तरवार नै सावळ जाब्ता सूं लुकाय दीन्ही। पछै कूंभारी नै कह्यौ—दीवौ झुपाय नै तिबारी में सावळ देखलै कठै लोई रौ छांटौ तौ नीं रैयग्यौ। म्हैं तौ मारग में अेक टोपौ नीं पड़ण दियौ। आज जैड़ौ जोग तौ कदै नीं सजियौ। मन करां तौ आखी दुनिया नै मोल लै सकां!

म्हैं ईं मन में आछी तरै परख लियौ के बातपोस तौ घणा दीठा पण बाबा री होड करणियौ अेक सुणण में नीं आयौ। म्है सगळा सुट्ट व्हियोड़ा बाबा रै मूंडा सूं निकळता बोल सुणता हा। बाबौ धकै कैवण लागौ—जद भगवांन रांम सोना रा मिरगला रै छळावा में आय उणरौ लारौ करण री लाळसा नीं ठांम सक्या, पछै उण माटीघड़ कूंभार रौ कांईं ठरकौ जकौ माया रा छळावा में नीं फंदै।

सूरज रै ऊगतां ईं जिण भांत अंधारौ लोप व्है जावै उणी भांत कूंभार-कूंभारी रा मन सूं दिन रा उजास रै साथै रात वाळौ खगडौ अंगै लोप व्हैगौ। वै भूलग्या के रात रा वारे हाथां कांईं रासौ व्हियौ। तड़कै सिरावण करनै वै बातां करण लागा। कूंभारी कह्यौ—कालै सूं ईं म्हारी डावी आंख फरूकै, आज बेटौ आयौ रैवैला। थें कैवौ तौ सांम्हला धड़ा माथै बैठ उणरी बाट जोवां। म्हारी आंख रा सुगन कदै झूठा नीं व्है। म्हैं कालै थांनै आंख फरूकण रौ कह्यौ तौ थें सावळ गिनरत नीं करी।

कूंभार कह्यौ—थारी आंख फरूकै के नीं फरूकै, म्हारौ जीव जागै के वौ मारग बैवतौ व्हैला। सिंझ्या पैली-पैली उणनै अठै आवणौ चाहीजै।

वै दोनूं लोग-लुगाई इण भांत रा सुगन विचारता हा के वांनै उणी मारग अेक लुगाई आवती दीसी। पाखती आयां ओळखी—खुद रै बेटा री इज बहू। दोनूं जणा दौड़नै सांम्ही गिया। पूछ्यौ—वींदणी थूं अणचींती कीकर आई...?

वींदणी रै हरख रौ पार नीं हौ। घूंघटा रै मांय उणरौ अंतस पळकतौ हौ। बोली—बधाई री पांच मोहरां देवौ तौ बतावूं!

कूंभारी, धणी सांम्ही देखनै कैवण लागी—लौ, म्हैं थांनै पैला नीं कै दियौ हौ...!

कूंभार बिचाळै खाकां पिदावतौ बोल्यौ—म्हारौ तौ थारी आंख सूं पैला जीव जागतौ हौ....।

पछै दोनूं जणा वींदणी रै पाखती आयनै कह्यौ—बावळी, बधाई री पांच मोहरां ईं कांईं मांगी? हजार मांगती तौ थोड़ी ही! बधाई री भूखी धणी नै लुकाय, पैला आई जकौ तौ सखरी बात, पण अबै जल्दी उणरौ उणियारौ बतावै जकी बात कर! म्हांरा सूं सबूरी नीं व्है...।

वींदणी हंसनै बोली—उणियारौ तौ कालै सिंझ्या सूं ईं जोवौ हौ, हाल धाप्या कोनीं...? वै तौ म्हनै कह्यौ के दिनूंगै ऊठतां पांण सगळौ भेद परगट कर देवैला। हाल तांईं थांनै भेद नीं बतायौ?

कूंभार हळफळियौ होय पूछ्यौ—किण बात रौ भेद...? लिछमी सावळ समझायनै तौ बता, यूं आडियां कांईं बूझै...! म्हारे पाखती तौ वौ हाल आयौ कोनीं...!

तद वींदणी खिल-खिल हंसनै बोली— आय तौ वै कालै सिंझ्या रा गिया, पण थें वांनै ओळखिया कोनीं। हीरा-मोत्यां री गाडी लेय कालै अठै आया, जका तौ हा...!

कूंभार-कूंभारी रा पग अधर व्हैगा। वारै पगां हेटै सूं धरती अेकदम हेटै ढळगी। वै अेकण सागै चिराळी करनै बूझ्यौ—कांईं कह्यौ थूं...? वौ तौ अेक सेठ हौ जकौ घड़ी रात थकां आपरै मारग ढळियौ...।

वींदणी री हंसी तौ नीं ढबी। कैवण लागी—वै हाल आप सूं मिसखरी करै...! अबारूं पाछा आय जावैला। कालै मथारै दिन चढ़्यां उठै आया। धमेक विसाई खाई। कळसां रै मूंडै हीरा-मोती लाया पण म्हनै अेक नीं दियौ। नथ में पोवण सारू कित्ती लटापोरियां करी, पण वांरा सूं अेक मोती नीं दिरीजियौ। कह्यौ के आपनै सूपियां पछै भलां ईं सगळा कळस लेलूं, पण माईतां री दवायती बिना अेक मोती देवणौ वा रै हाथ नीं है। वै तौ इण भांत आपरौ आदर करै अर आप वांनै ओळखिया कोनीं...? म्हैं वळै पूछ्यौ के पैला दौड़नै बधाई दै आवूं। तद वै म्हनै बरजता थकां कह्यौ—देखूं सोळै बरसां पछै वै म्हनै ओळखै के नीं। सगळी रात नीं बतावूंला के म्हैं वांरौ इज बेटौ हूं। सेठ बणियौ रैवूंला। तड़कै भेद परगट करूंला तद वै अणूंतौ हरख अर अणूंतौ इचरज करैला!

म्हां सुणणवाळां रा सांस ऊंचा चढ़ग्या, तद कूंभार-कूंभारी रा बात सुणियां कांईं हाल व्हिया व्हैला, उणरौ मरम कुण जांण सकै...?

वींदणी धकै कैवण लागी—म्हैं तौ वांनै देखतां ईं ओळख लिया। अर थें सगळी रात साथै रह्या तौ नीं पिछांण्या...? म्हनै समझ नीं पड़ै के वै हाल तांईं कीकर इत्तौ चोज राख्यौ...?

काठ री पूतळियां रै उनमांन दोनूं जणा वींदणी री बात नै सुणता हा। वै तौ जांणै है जठै चिपग्या!

बात सुणावती वगत बाबा रौ काळजौ चिपग्यौ। थोड़ी ताळ ढबनै कैवण लागौ—उण वगत वां दोनां रा मन माथै कांईं बीती, म्हैं नांढ़ आदमी उणरौ कीकर हवालौ दै सकूं। वै कीं बोलता तौ म्हैं ईं बोलनै दरसाय देवतौ। पण वींदणी री बात सुणियां पछै वै तौ अेक आखर मूंडा सूं नीं काढ़ियौ। थोड़ी ताळ पछै कूंभार रा रूं-रूं सूं रांम जांणै कांईं भूत परगट व्हिया के वौ ऊभौ-ऊभौ भच देणी ताचकियौ। नागी तरवार लेय वतूळिया री गळाई पाछौ फुरियौ। अेक सपाका में वींदणी रौ माथौ कलम कर दियौ। पछै खुद री लुगाई रौ गळौ वाढ़ अणछक आपरौ गळौ सूंत न्हाकियौ। सासू-बहू रा भोडक तौ धड़ सूं अळगा पड़्या हा, पण कूंभार रौ गळौ आधौ वढ़ियौ हौ। दोय घड़ी रै उपरांत मरियौ जित्तै उणरा मूंडा सूं चुस्कारौ नीं निकळियौ!

बाबौ आपरा धौळा खत नै पंपोळतौ कैवण लागौ—थें तौ सगळा कूंभार अर कूंभारी रै मरण रौ सोच करता व्हौला पण म्हारी जांण में तौ वांरौ नवौ जलम व्हियौ। हां, अलबत वींदणी रै मरण रौ म्हनै दुख है। पण अबै दुख करियां व्है कांईं, वा तौ बापड़ी बधाई देवण सारू आई ही अर मर पूरी व्ही।... उणनै ठाह नीं पड़ी के सुसरौजी रै हाथां उणरी क्यूं हित्या व्ही?

पछै बाबौ मुळकतौ थकौ कैवण लागौ—म्हारी आदत कीं बाळण जोगी है, मरण री बात सुणावतां म्हनै माडै हंसी आवै। कदास म्हारा अंतस में आंसुवां रौ तुठार आयग्यौ व्हैला! अबै थां लोगां नै म्हारी इज वीणती है के जिण मूंडै बात थारै कांनां पड़ी थें पाछी आप-आपरै मूंडै जणा-जणा रै कांनां पूगती कर दीजौ... म्हारी मुगती व्है जावैला!

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-8) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर प्रकाशक एवं वितरक ,
  • संस्करण : तृतीय संशोधित संस्करण
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