उणदाड़ै म्हारे खुद रे सै’र अकबार ‘जनमन’ ला’र ज्यूं ई छोकरे मन्ने दियो, तो पेलाइज पांना रे माथे छपियोड़े विग्यापन माथे म्हारी आंख्या ठिठकगी। ‘मां एक नवी योजना शुरू करी है। रायसा’ब धनपतराय रै बंगळा माथे पच्चीस री सिंझ्या रा तीन बज्यां ‘मरद-सेंबर’ रचियो है, जो आदमी, अर परणवा रा हेलूं ब्याव करण वाळा आदमी, आपो आप री अरजियां फोटू रे साथू की, नीचे लिख्यां ठिकाणां माथे जलदी सूं जलदी भेजे। अरजियां भेजण री छेवटी तारीख चौबीस री सिंझ्यारा पांच बजियां है— पूरा हालात सारू जे तो लिखे जे मिले— नीचे सापतो ठिकाणो छपियोड़ो हो।
विग्यापन ने एक’र फेरूं पाछो बाच्यो मरद-सेंबर! वै सके है भाई। ओ करूळ कळिकाळ ठैयों, हमार तो जो नीं वे वो थोड़ो है। अरे! आज बाईस तारीख तो वेगी है, भलेई कींकर ई व्हो सेंबर में जरूर जावणो। उणीज टेम अरजी लिखी, नीचे दसतक करिया, पढ़णो, भणाई, घर, जमीं, ज़ायदाद रो पूरो पूरो हाल लिख्यो, अ’र तेईस रे सुबै इ’ज नव बजियां इज रायसा’ब री कोठी माथे जा’र फोटू रे साथूकी अरजी दिवी।
पच्चीस तारीख रे बारै बजियां इज, सेंबर में जावण री त्यारी शुरू कर दीवी। चक्कू रे धार जैड़ी क्रीज वाळी सफेद बुगला री पांख जैड़ी पेंट। फुल बांया रो कुरतो। पगां में क्रिपसोल रा बूंट। झटकादार बाल संवारियोड़ा। गाबां माथे लैवेण्डर रा छांटा नाख्योड़ा, अ’र पगां पगां इज चैल कदमी करता रायसा’ब री कोठी माथे पोंच्यो।
कोठी बारां सूं घणी आछी फूटरी सजाई ही। लाउड स्पीकर माथे नागण रा गाणा बाजता हा। सापती गळी में राती’र पीळी झंडिया फैरीजती ही। जमीं माथे गुलाब जल रो छिड़काव करियोड़ो हो। नौकर-चाकर आपो-आप रे कांम सूं उठी सूं उठी भागता नजर आवता हा।
ठीक तीन बज्यां बारणा माथे पोंच्यो। दरवाजा कन्ने इज द्वारपाल खुद री नवी मटिया वरदी शरीर माथे पैर्योड़ी अकड़’र अमचूर वै ज्यूं ऊभो हो। मूं ज्यूं ही खन्ने जा’र ऊभो होयो, उण्णे बिना एक ई हरफ मूंडा सूं काढ्यां, म्हारे आगे आपरो जीमणो हाथ फैलायो! सोच्यो—कांई मांगर्यो है? कंई समझ में नीं आयो? आखर गळा ने रसदार वणा’र बोल्यो—कंई सा!
‘नवेद’—मूंछा मांय से उळझती, फिसलती आवाज निकळी।
मैं पेंट रे खींसा सूं नवेद निकाळ, उण्णे हाथ माथे राख दियो। उण आगे हाल’र बारणो खोल्यो, म्हारे मांय जावतां इज बारणो ज्यूं रो त्यूं बन्द वैग्यो।
देख्यो, कोठी खासी लंबी चौड़ी ही, कने इज बगीचो हो, जठे मीठी-मीठी सुगन्ध वाळा आछा फूटरा फूल खिल रिया हा, नीचे मखमल नैं ज्यूं कूंळी-कूंळी द्रोब। मीठी मस्त वै जेड़ी महक आवती ही। मांसूं पैली’ज उण बगीचा में, जठी खासीभली छिंया ही, बारै तैरे मिनख वळेई बैठा हा। शायद सेंग जिणा सेंबर लेवण सारू आया हा। बारणा रे मांय जातांइज एक दूजे नौकर ए सैणी करी-मैरबानी कर’र उण बगीचा कांनी।
मूं बगीचा कांनी गियो। थोड़ी घणी चालीस-पचास खुरसियां पड़ी ही। मूं बी जा’र एक खुरसी माथे बैठग्यो। वठै जको मिनख बैठा हा, वे मन्ने देख’र थोड़ा’क मुस्कीजिया। मैं माथो नीचो कर लियो’र खींसा सूं एक जूनो कागद निकाळ’र बाचण लाग्यो, ऐड़ो’क मन्ने वठै बैठा मिनखां रो भांण ईज नीं वै ज्यू।
तीने’क बजियां री टेम थोड़ा घणा पैतीस-चालीस उमेदवार वठै भेळा वैग्या। थोड़ी टेम पछे मांने सूचना मिळी, के मैं सेंग उण खांनी रा कमरा में चालां।
कमरा में घुसतांइज रायसा’ब’र दस पनरै उणां रा सगा-संबंधी जको पैली सूं ईज उण कमरां में मौजूद हा, उठ’र म्हांरो स्वागत सतकार करियो, मैं सेंग, वठै तरतीब सूं सजायोड़ी खुरसियां माथे बैठग्या।
म्हारे सेंगां रे बैठ जाणे रै बाद रायसा’ब ऊभा होया बोल्या— ‘उमेदवारो आप सेंगारी अरजियां म्हारे हॉफिस में ठीक टेम पोंची, अ’र उण मांय सूं जको जको पसन्द आया, उणां ने ‘नवेद’ भेज दियो हो। मने घणी घणी परसनता है, के हजारां री गिनती में जवानो ए इण सेंबर में भाग लेवण री खुशी बताई है, पण उण मांय सूं मां कोरा बियांलीस उमेदवार छांट्या है।’ मूं सेंगा ने धिनवाद देखूं हूं।
आप सेंग जिणा जाणणो चावो ला, के ऐड़ा सेंबर री योजना म्हारे भेजा में कींकर आई? इण मोहल्ला में थोड़ा घणा साढ़ी चार सौ घर है, पण इण मांय सूं घणासीक चिन्ता रे समंदर में डुबकियां खा रिया है। इण रो एक मातर कारण ओ है, के छोर्यां री उमर खासी बधगी पण हाल तांणी ब्याव नीं होयो। पैली तो सावो कठैई ठीक बैठे इज कोयनी अ’र जे कठेई मांमलो ठीक बैठे, तो लेणा-देणा माथे आ’र गाडो अटक जावे इण कारण, इण समसा ने सुलझावण सारू इज ओ सेंबर रच्यो है। आ कोई नवी बात कोयनी। पेली रे जमांना में इज आपांणे देश में ऐड़ा कई सेंबर होवता हा; पण उण सेंबरां में,’र इण सेंबरां में एक घणो मोटो फरक है। पैली रा सेंबरा में छोरी, आपरे जोग वर रो चुनाव करती ही, पण इण जमांना में ओ सेंबर उण सूं ठीक ऊंदो है।
मां आ योजना खासी भली सोच-विचार’र राखी है, अं’र कैणो नीं चाइने, के भारत में ओ ऐड़ो पैलो सेंबर है। पण आशा’र विसवास करूं हूं, के जे आ म्हारी योजना सफल वैगो, तो एक घणी खासी मोटी बात वैला, मोटा जुग-बदलण व्हैला।
खैर। मूं अबै आपरी घणी टेम नीं लेवणी चावू हूं। अबार वारी-वारी सूं एक-एक उमेदवार रे नाम रो हेलो मार्यो जावैलो, आप, आशा है, ‘क ‘गाइड’ रे बतायोड़े रस्ता सूं हालण री कोशिश करोला।
रायसा’ब,’र उण्णे साथूका बैठ्योड़ा मिनख उठ’र कनला मोटोड़ा हॉल में गिया परा।
दसे’क मिनट रे पछे नामां रो हेलो मारीजण लागो। सेंगा सूं पैली म्हारे ईज नाम रो हेलो मारीजियो! नामां जोर सूं हेलो मारीजियो इण खातर झटके सूं ऊठ’र टाई ने संभाळ’र, चिक ने हटावता थकां नौकर रे बतायोड़े रस्ते कमरा में घुसण्यो!
हॉल गोळ शकल रो’र खासो मोटो हो। थोड़ा घणा चालीस-पचास मिनख वठै पैली सूं हीज खुरसियां माथे बैठा हा। सेंगा रे बीचली कुरसी माथे रायसा’ हब खुद बैठा हा। बिच में आधी गोळाई में खुरसियों माथै सेंबर में भाग लेवण वाळी छोट्यां बैठी ही, सज धज’र। सेंबर में भाग लेवण वाळी करीब पैंतीस-चालीस छोर्यां बैठी ही। हरेक छोरी रै आगे एक-एक मेज पड़ी ही, जिण माथै उणांरो नाम, जात, बाप रो-नाम, उमर, भणाई, अ’र दहेज री रकम लिख्योड़ो एक-एक कागद पड़यो हो। सेंगा री उमर सौळै सूं लगा’र चालीस बरस रे बीच में ही।
हाल में जावता ईज एक मिनख म्हारे हाथां में ताजा खिल्योड़ा गुलाब रे फूलों रो हार दे’र ग्यो। मीठी-मीठी मस्त करै जेड़ी सुगंध आवती ही। म्हारे साथूको एक मिनख बळे ई हो, जको के शायद ‘गाइड’ हो। मूं दोई हाथां में गजरो ले’र धीमी-धीमी चालसूं खुरसियां कांनी हालण लागो।
‘आप’-कनलो ‘गाइड’ कैवतो जावतो हो— सेठ सा’ब किशनचन्दजी री सुपुतरी, नाम-लता, भणाई-लिखाई मैट्रिक तक, दहेज पाँच हजार रुपया। मैं निजर ऊपर कांनी उठाई-गोळ मटोळ मुंडो, छोटोसिक लिलाड़, होठ जरूरत सूं घणा बधियोड़ा, तीखी सुआरी चांच जैड़ी नाक, दो एक मिनट उण खांनी देख्यो’र निजर नीची करली।
ऊंहूं!—मूं फुसफुसिजियो-’र आगे हाल्यो।
‘आप’! ‘गाइड’ कैवतो जावतो हो—
शुभनाम निशा। डाक्टर सा’ब धरमवीरजी री एकली बेटी, भणाई-लिखाई, बी. ए. फैल नाचण-गावण री सौकीन। दहेज चार हजार रुपिया—
लांबोसिक मूंडो, हंसण जैड़ो चे’रो, छोटा-छोटा सांवळासिक होठ, साम रंग, आंख्यां थोड़ी’क छोटी। माथे-माथे थोड़ी’क सळवटां (सळ) पड़ग्या, अ’र मूं आगे पग बढ़ाया।
आप-देखिए हेमचन्दजी री बेटी, इण्टर पास, नाचण-गावण री घणी-घणी सौकीन....
म्हारी निजरां ऊपर उठी, मूंडा माथे चेचक रा दाग, एक इज निजर में माथो भन्नीजग्यो म्हारा होंठ फड़फड़ीजिया थर्ड किलास अ’र कदम आगे हाल्या।
आप! पैचांणो! छोटा राय सा’ब री सुपुत्तरी, नाम—प्रेमलता, भणाई बारवीं चौपड़ी, बीजा नंबर सूं पास। रसोई करण में—हुसियार (कन्ने सटिफिकेटां रो पुंलदो पड्यो हो) दहेज सात हजार
नजरा चै’रा खानी गई। घणी फूटरी, आंख्यां माथे रंगीन चशमो चढ़ियोड़ो, गोरो मूंडो, तरतीब सूं सजियोड़ा केश, नाजुक लचकदार शरीर
दो मिनट ठेर्यो, नजरा उण्णे चैरा कांनी करी, बोल्यो थोड़ो चश्मो उतारद्यो।
थोड़ी घणी हाँ-ना वैवण लागी। मन्ने शक है—मैं कह्यो—चसमो उतारौ।
चसमो उतारण पछे देख्यो आधो बजार बन्द माथो भन्नीजग्यो बोगस। अ’र नाक मूंडो सिकोड़’र आगे बधग्यो।
‘गाइड’ कैतो जातो हो—मन में एक ई जचती को हीनी। पग आगे बधता, ओठ आपै आप फड़फड़ीजता—बोगस! थर्डकिलास!! मनूश! हुश!! पग आगे बढ़ जाता।
एक जगै रुकायो। ‘गाइड’ कै रियो हो— आको नांम रागणी बाप रो नाम सेठ दीनदयालजी, उमर अठारै साल, बी. ए. फाइनल। दहेज साढ़ी चार हजार रुपिया एक मरफी रेडियो, एक हाथ री घड़ी—
नजर चैरा माथे जा’र अटकगी, गोरो, भोळो भाळो चै’रो, चोखी नाक राता’र छोटा छोटा ओठ , शरमीजती आंख्यां लांबा लांबा काळा भंवर केश, शिक्षा री चे’रा माथे छाया, एक हाड़ियो शरीर नाजुक
मन ने परसन आयगी। दहेज भी चोखो हो। रूप रंग भी चोखो नाम भी आछो
मैं धीमे सिक लार ली बचियोड़ी छोंर्यां माथे एक धीमे सिक निजर नाखी हाथा मायला हार आगे बधाया एक मिनिट रुक्यो अ’र गुलाब रै फूला रो हार उण्णे गळा में नाख दियो।
गळा में हार घालतांइज चारां खांनी सूं आवाजां आवण लागगी। सेंग छोर्यां एक साथू की ऊभी होयगी। चारां कांनी सूं हाको मचग्यो बेह्या! शरम को आवैनी डूब मर चुल्लू भर पाणी में म्हारे मांय कांई खोट है देखा कींकर लै’र जावे है मारो पकड़ो भाजण नीं पावै।
मूं गैलौ, गूंगो, बगनो वै ज्यूं वैग्यो। चारा खानी सूं भीड़ ने चीरतो, दरवाजा सूं बारै भाज्योड़ो आयो। जद कोठी सूं पचास-साठ गज आगो आयो, जद जाय’र कठैई जीव में जीव आयो । उण टैम तक तो एक फळफूळ वाला रे खूमचा सूं, एक गधा सूं, अ’र एक मिलेटरी मिनख सूं टकरीज’र गालां माथे जोरां सूं झापट खाय’र आंधो, सूअर आदि डिगरियां ले चुक्यो हो।