आधी रात री टैम, सावण री झड़ी, टिम-टिम छांटां पड़ै। सगळै गांव में समक सोपो। गांव बाळा गै’री नींद में खूंखाड़ करै। गांव ऊं थोड़ी क अळगी एक ढाणी। जकै में मोटा-छोटा मिळा’र सगळा पांच जणां। पाणी री बूंदा ढबै नई, तर तर घणो जोर पकड़ै। दूंधा वरणो आभौ हूयोड़ो। बीजळी पळपळाट करै। कणांई जमी दीसै अर कणांई सफाई अंधेरो।
ढाणी में लारले छेड़ै एक झूंपड़ी। जकै में गायां भैस्यां खातर घास-चारो नाख्योड़ो। एक खूणो खाली, खूणे में एक छोटी क मांचलड़ी पड़ी। मांचलड़ी माथै एक सौळे बरसां री डावड़ी सूती नांव चम्पां। खनै आळै में एक दीयो जगै। दीये री लौ आळै रे ऊंचलै खांनी काजळ बणावै। मांचे माथे सूती डावड़ी, काजळ खांनी निजर, अर फुर फुर’र देखे। काजळ बणबणर सळी जाग्यां में नीचै पड़ै। आ होळे होळे काजळ कुंपळे में घालै।
थोड़ी’क जैज पच्छै काजळ रो कूंपल्यो ढकद्यो अर दिवलो गौरे हाथां में लै’र उठी। मन में एक नूंवी धुण। मां-बाप रै ऊपर रीस समाज नै धिक्कारती अर सहेल्यां रै करमां नै फटकारती। दूजूड़े खूणै में गी। खूणै में एक गांठड़ी। जकै में नूंवां तुरीतार गाभा। पै’ली बार पै’रण खातर बारै काड्या। च्यारां खूणां कौर पळा-पळ करै। ईसा ईं आपरी इती जिंदगी में कदैई नई पैर्या। गांठड़ी समेत पाच्छी मांचलड़ी खनै आ ढम्मी। दीयो पाच्छो मेल्यो। दीये रै चानणै में नूंवा चम-चमाट करता गाभा पै’र्या। खनै पड़ी बुगचड़ी मांऊं काच काड्यो। टीकी-टमकी ली अर काजळ रो कूंपल्यो लैर दीये खनै जा बैठी। पूरी तरै सिंणगार कर्यो।
आज ऊं पांच दिनां पच्छै चम्पां रो बीयाव मंड्यौ है। सगळै घर रां अर सम्बन्ध्यां नै इण बात रो घणो हरख। सगळा ही हाथ-पीळा करण में लाग्योड़ा। च्यारूंमेर खुशी छायोड़ी। सगळां रे चै’रां माथै एक नूंवीं चमक पण चम्पां रै गोरे मुखड़े माथै उदासी ई उदासी देखणै में आवै। ईरो मूंडो उदास देखर घरांळां रो मन ई उदास रैवे। सहेल्यां घणी ई पूच्छै पण जबाब कीं नई मिळै। बूड़ी-बड़ेर्या कैवे-बाई तूं उदास क्यूं रैवे, आगलो घर घणोई चोखौ, जंवाई घणाई समझणां, थारै बीयाव में कीं तरै री कमी रेवण दां कोनी। तोई बता तूं उदास क्यूं रैवै? म्हांनें बात तो बता? थारै कांई बात री कमी, बता तो सरी? थारै गै’णो घणोई घतावां, तनै चोखो दायजौ देसां, तनै चोखी सीख देसां। थारो सासरो नैड़ो। सासु-सुसरा घणा गीणीजता आदमी। ईती सगळी बातां हुवण रै पच्छै तूं इयां अणमणी क्यूं?
बूड़ी-बड़ैर्यां नै जबाब कीं नई मिळै जणां गांव री बहू-बेट्यां आवै अर चम्पां रै सामी पांच दिनां पच्छै हुवणाळै बींद रो बखाण करै। एक चम्पां खनै लागतां में ई भाई री बीनणी कैवे-बाई ओ थै कीं बात रो सोच-फिकर मती करो, हूं थांरै बांने चोखी तरां जाणू। थे म्हारी साची बात मानो तो थांरे बनां में राई जिती ई कांण-कसर कोनी। चोखा मोटा-ताजा मोट्यार, गोरो मुखड़ो, गोळ गोळ आंख्यां अर चमकतो चै’रो हैं म्हारे नणदोईसा रो।
पण चम्पा ने आं सगळी बातां रो सोच हो ई कोनी। बा तो आं सगळी बातां ऊं घणी अळगी सोचै। बीं में एक नूंवी चेतणा जागूड़ी ही। बी’रा बींच्यार खासा ऊंचा हा। बीं आपरै चौखे-माड़ै नै जाणल्यो। बा किती ई बेल्यां गांव में आवण आळी गांव सेऊकण अर गांव दाई ऊं बातां कर चुकी ही। बीं आपरै समाज रै अत्याचारां नै चोखी तरां जाणल्या। जद कदेई राज रा आदमी मोटर लेर’र गांव में आवता चम्पा सगळां ऊं पै’लां बांरो बखाण सुणणनै जा ऊभी रैती। चम्पां नै आंरै बखाण री बातां बड़ी खरी लागती। कै ओसर-मौसर मती करो, बीयाव-सा’वै में कम खरच करो। दायजौ बन्द करणो चाहीजै, बै’न-बेटी रो पैसो नई लेणो चाहीजै। अे सगळी बातां चम्पां ने सवा सौळाना लागती। बा आ’ई चावती कै म्हारो समाज आं कीमती बातां नै मानै अर चूगता खराब रीति रिवाजां रो मूंडो काळो कर’र घरां ऊं काड दै, जद म्हारै समाज रो साचौ उत्थाण हू सकै।
चम्पा आ बात चोखी तरै जाणै ही कै ओ चोखो दायजौ आ जोरदार सीख किण रै जोर माथे दईजैला अर ओ लदा लद गै’णो किण पर। चम्पा नै इण बात रो चोखी तरै ठा हो के घरांळां बीरे सासरांळां खनै ऊं उणरी कीमत दो हजार लीनी अर एक हजार बाकी राख्या। अे दो हजार भेळा कर्या जणां बांने सगळा घर रा पूर बेचणापड्या अर डोड हजार माथै-चोटी करणां पड्या।
गांव री बूडी बडेर्यां अर बहू-बेट्यां रै कैयुड़ी बातां री काट चम्पा मन मन रै मांई कर देती। बारै कीं सुणावती कोनी। ईरै तो आपरी एक बात सेंठी झालूड़ी ही। ईं ही बात रै खातर वा आज आधी रात रो चमकीलो-भड़कीलो पैंणाव कर’र त्यार ऊभी ही। ज्यूं ई पाणी री बूंदा ठम्मी अर बारै निकळगी।
गांव रै ठीक आथूणै छेड़ै एक घर। घर में तीन जणां अर तीन ई झूंपड़ा। बारलै झुंपड़े रो बारणो खुलो। मांय नै अंधैरो ई अंधैरो। कणांई कणांई बीजळी रो पळको पड़ै। ई पळकै रै झबकै में झूपड़े में सूतो जवान छोकरो अेक निजर ऊं टकटकी लगायां बारै देखै। ईती रात गई नींद रो नांव नई। अठी नै बठीनै पसवाड़ा फेर’ अर निजर फळसै माथै ई राखै। कीरी ई उडीक में सूते छैल नै हिचक्यां आवै। मन में किरै’ ई आवण री घणी चितारे, हिचक्यां नै ठामण रो जतन करै।
समक आधीरात। बीजळी रो चमकणो अर चम्पा रो फळसै खनै आवणो। कितो सांतरो मेळ पीयो। फट सूतूड़ै छैलरी निजर चम्पा रे चै’रे माथै पड़ी। बीजळी रो चानणो खासी जैज तांई एक जाग्यां ठम्मग्यो। चम्पा रै मामोल्यो हुज्यूं डील पळ-पळाट करै। हिरणी री ज्यूं आंख्यां, दाड़मदांई दांत अर सिंघ जिसी कमर सूतूड़ै ने चोखी तरै दीसी।
भट मांचे ऊं उठ्यो अर न्हासतो न्हासतो चम्पा रै खनै जा ऊभौ। दोनां रै नैणां में प्रेम रा आंसू सावण री झड़ी बणग्या। बाळपणै रो पियार आज एक सागै जाग पड़य्या अर आंख सूं आंख मिळी। जवान नै आपरै हाथ सूं चम्पा री ठोडी होळे-होळे हिल-हिलायी अर माफी मांगी। दोनूं जणां गांव ऊं अळगा एक दड़ै माथै जा बैठय्या।
इयां चम्पा रो बीयाव पांच दिनां पच्छै हुवणालो हो पण ओ बीयांव इनै खारो जैर’ ज्यूं लागै हो। जै चम्पा घरै ई रैवती तो लाख जतण करतां ई ओ जै’र पीवणो पड़तो। आखै जीवण ही ई जै’र ऊं ही सिसकती रेती। लोगां रै जूती हेटै रेती। न रिपिया उतरता अर नई लारौ छूटतो।
इण सगळी बातां ने देखतां थकांई चम्पा ओ नूंवो जतण कर्यो। ओ नूंवो सरो अपणायो। क्यूं क जै चम्पा ओ नूंवो बीयाव न करती तो लोग आखी ऊमर थूं थूं करता, मान खो लेवता अर अेडी हैटै राखता। सगळी ऊमर लोगां आगै पोठा ढ़ोवण ऊं बची, लोगां रै ठोला ऊं लारौ छूट्यो अर गळी गळी री रांड कैईजती जकै ऊं टळी। आज दोनां नै आपरी जिन्दगानी अंधैरे ऊं घींस र चानणै में ला नाखी। ना रिपिया चाहीज्या, ना बामण री जरूत अर ना ई-भाई सम्न्धयां रै नांव रो निकम्मो कूटाळो। अबै दोनूं लोग-लुगाई सुख सान्ती ऊं रसै-बसै। न राजरी न तैजरी।
बूडा-बडेरां रै दिल नै एक बड़ो धक्को लाग्यो। च्यारां खानी आ अफवा उडी’क फलाणिये रै बेटे अर फलाणिये री बेटी ऊंधौ-तूजो कर बैठ्या। न्यात ऊं बारै निकाळण री बातां हुवण लागी। सगळी जग्यां ओ हाको फूटग्यो। गांव रै लोगां एक पंचायत बैठाई। सगळा बूडा-बूडा भेळा हुया। जवान एक ई नई। ई मेटिंग में एक बूढ़ो ऊभो हुयो अर बखाण देवण लाग्यो—
‘देखो! भायां आपां आज अठै सगळा भैळा हूयां हां एक न्याव करण खातर। मनै थै थांरो एक मोटो मेम्बर बणायो अबै हूं थां लोगां रै सामी म्हारा बीच्यार प्रगट करूं कै म्हारे बीच्यारां ऊं ओ मामलो किण तरै निबटणो चाहीजै। न्यात-ध्यात ऊं बारै काडणो करणो म्हारै तो राई भर ई जचै कोनी। हूं तो ई काम नै सवाई सौळाना ठीक कैवूं। क्यूं कै जै आपां पुराणी लकीर माथै ई हालता रैवालां, जमाने नै जांणां ला नई अर गूंगो बडेरपणो चलावांलां तो आपां री नूंवी पीढ़ी जकी आपां रै टाबर-टींगरां री है बींने आपां एक मोटो धोखो देवांला। हूं तो इंनै ऊंधौ-तूजो नई केऊं मनै तो ओ काम साव-सुतर रो लागै। साव सांत्तरो, घणो चोखो जमानो आगै घणो बड़ग्यो आपां जाण सक्या कोनी। ओ काम तो सात ही सावळ, ज्यां सोने रे मां सुहागो। मेटिंग में सरणाटो छाग्यो। कोई कीं नई बोल्यो। सभा खिंडगी। सगळा आप आपरै घरां गीया।