आज नाराणो गद्दी सूं सांझ पड़्या बामणबाड़ी में आयो तो उण रो डील भारी अर माथो गरम हो। बात इसी बणी कै आज नाराणो गद्दी में पांच-सात मिनट देर सूं पूग्यो, उण सूं पहली सेठजी आपरै आसण पर बिराज्या हा। जद नाराणो गद्दी बड़्यो तो सगळै साथियां री निजर उण पर अेक साथै पड़ी कै आज बेरो पड़सी बात करणै में अर नौकरी करणै में के फरक है।

सेठ सीतारामजी पोद्दार नाराणै रा मालक हा अर उण रै गांव रा नईं, उण रै बास रा भी हा। पण सेठां रो सदां सूं यो पक्को बिचार हो कै व्योपार री बढोतरी रो अेक मात्र आधार यो है कै बडोड़ां सूं ल्होड़िया सदीव डरता रैवै अर दब्या रैवै। बै नौकर पर क्रोध करबा रो अेक मोको रीतो कोनी जावण देंवता।

सेठजी नाराणै नै गद्दी में बड़ता आडै हाथां लियो, “नाराणिया, नौकरी है। कोई भाई-बंधी कोनी। अठै काम करणो है तो बखत री पूरी पाबंदी राखणी पड़सी, नईं तो कोई दूसरो काम देखले।”

नाराणो पहली मुसाफरी में बम्बई आयो हो अर उण नै सेठां रै अपणेस रो भी क्युं भरोसो हो। बो नरमी सूं उत्तर दियो, “ताऊजी, थे बरखा कानी भी तो देखो सड़क पर कितरो पाणी भर्‌यो पड़्यो है। अर सात मिनट री तो देर हुई है।”

इतरी सी बात कैय’र नाराणो घड़ी कानी आंगळी करी। पण नयै खिलाड़ी नै यो बेरो कोनी हो कै सेठजी उत्तर कोनी चावै हा, बै तो माफी मांगणै री उडीक में हा। आज गद्दी रै सगळै नौकरां रै सामनै छोरो बां नै जबाब दे दियो। तो बडो अपराध है।

सेठां रो पारो ऊंचो पड़ग्यो अर वै तेजी में आय’र बोल्या, “में नै तो बरखा नै देखूं नै तन्नै देखूं। मैं तो बस नियम नै देखूं हूं। तन्नै गद्दी में काम करणो है तो बखत सूं पांच मिनट पहली आया कर, नईं तो काल सूं तेरो दूसरो ठिकाणो देख ले।”

नाराणै नै इसो भरोसो कोनी हो कै बैनै ईं गद्दी में इसी बात सुणनी पड़सी। क्रोध तो आयो पण दांत भींचणा पड़्या। नाराणो जाणै हो कै ईं बाणियै रो बाप गांव में मामूली सी तेलालूणी री दुकान करतो अर उण रै बडकां रै आगै आसीरवाद खातर सदां हाथ जोड़्या राखतो। पण राज सो राज। आज बाणियै रो बेटो मालक हो पंडता रो बेटो नौकर।

नाराणो चुपचाप आप री ठौड़ आय’र बैठग्यो अर क्यूं कोनी बोल्यो। पोद्दारजी रो पारो ईं चुप्पी सूं और भी चढग्यो अर बै दूजै गुमास्तां कानी देख’र बोल्या, “आज भलै रो बखत कोनी। ईं छोरै नै बास रो जाण’र रोटियां रळायो तो म्हानै स्यामी मूंडै जबाब सुणणो पड़्यो। ईं नै आप री बी. कॉम. डिग्री रो घमंड है। बेरो कोनी के इसा-इसा कागद लियां तो के बेरो गळियां में कितणा छोरा रुळता फिरै है। आगै सूं गांव रै आदमी नै तो कदे राखणो नई।”

गद्दी रा सगळा नौकर फेरूं अेक निजर सूं नाराणै कानी देख्यो पण चुप रैया। वै जाणै हा कै जे कोई क्युं भी बोल्यो तो सेठजी उण री बात रो जाणै के अरथ लगावै..?

नाराणै रै मन में अेक उठै ही अर अेक बैठे ही। बो कई बर मन में करी कै ईं सेठ रै बचियै नै दो बात कैवै पण उण रै मूंडै सूं जबान निसर कोनी पाई अर बो नीची निजर कर्‌यां चुप बैठ्यो रयो। दूजा नौकर आप-आप रै कामा में दिखावू ध्यान दे राख्यो हो पण बां री आंख्यां चिमकै ही कै गद्दी रै सगळै मुनीम गुमास्तां नै डरपोक बतावणियो पढेसरी आज आप दबी चुस्सी बण्यो बैठ्यो है। आगै सूं आप रो माजणो पिछाण लेसी अर बडी-बडी बातां कोनी करसी।

आगै सेठ बोल्या कोनी अर गद्दी में सरणाटो सो छायो रयो। आज सेठ इतरी बार भी अठै नाराणै रै संस्कार सूं टिक्या हा। और दिनां तो बै आया, सगळै नौकरां रै काम पर अेक सरसरी निजर गेरी अर पाछा मोटर में जा बैठ्या। बस इतरी सी बार लगांवता अर बां नै टेम कठै ही..? कोई अेक काम सिर पर थोड़ी हो। मील संभाळणो कोई मामूली काम कोनी।

जद सेठजी चल्या गया तो गद्दी रा सगळा नौकर नाराणै साथै अपणेस परगट कर्‌यो, भांत-भांत सूं उण नै समझायो अर बखत देख’र काम करणै री सलाह दी। जूना मुनीम राधाकिसनजी सरावगी आपबीती भी सुणाई कै बां नै सेठां किण-किण रूप में सिजाय’र बां री करड़ांवण दूर करी।

पण नाराणो क्युं बोल कोनी पायो अर उण दिन चुप सो रैयो। बो जैयां-तैयां दिन छिपायो अर छुट्टी हुंवता ही बाड़ी रो गैलो पकड़्यो।

बाड़ी के ही, अेक पींजरापोळ ही। बरणी हाळा बूढा बामण अठै पंडत बण्या दूजां पर हुक्म चलावै हा। अेक बडो कमरो अर अेक छोटो कमरो। छोटै कमरै पर पंडतां रो कबजो हो अर बडै कमरै में सगळो सरबालो हो। कोई मील में नौकर हो, कोई गद्दी री सेवा में लाग्योड़ो हो तो कोई आप रो धंधो दलाली बतांवतो। पण इसा भी कई बामण हा, जिका कोई काम धंधो कोनी करता अर पुन धरम पर आप री गाडी धिकावै हा। कमरै में चटाई पड़ी रैवती, पछै भी कई जणा पैड़काळै में पड़’र आपरी नींद नै भुळांवता।

रसोई न्यारी ही, जठै बारी-बारी सूं रोटी बणती, किणी री आप रै खातर अर किणी री सीर-सांझै में। रसोई रै अेक कूणै में सांझै रो स्टोव भी पड़्यो रैवतो, जीं पर चाय बणती।

सांझ पड़्यां भांत-भंतीला पंछी ईं आसरै में आवता तो अेक मेळो सो भरतो अर देस-दिसावर री घणी-घणी चरचा चालती। अठै आखर-फीचर रो मांड़ो-मंदो व्योपार भी चालतो अर कदे-कदे बोलाचाली झगड़ै रो रूप भी धारण कर लेवती, पण पंच लोग बानै बणाई राखता।

और दिनां नाराणै री जबान भोत चालती पण आज बो चुपचाप आप री चटाई पर लांबो पसरग्यो अर ऊपर चादरो गेर लियो। बो नक्की कर चुक्यो हो कै भूख मरणो कबूल पण काल सूं गद्दी में तो जावै कोनी।

अेक-दो जणा नाराणै नै सूत्यो देख’र पूछताछ भी करी पण सगळा नै बो अेक उत्तर दियो कै उण री तबियत ठीक कोनी।

देवकरणजी मिस्सर बामण-बाड़ी रा सिरेपंच हा। बां री घणखरी उमर ईं बाड़ी में बीती ही अर बै ईं धरम-साळा रै सुख-दुख रा कई अवसर देख चुक्या हा। मिस्सरजी नाराणै नै बतळायो तो भी बो उठ्यो कोनी अर मूंडो ढक्यां उत्तर दे दियो कै उण रो माथो जोर सूं दरद करै है।

मिस्सरजी आप री चाय साथै नाराणै खातर भी चाय बणवाई अर उण री चटाई पर बैठ्या। बै नाराणै रै माथै हाथ फेर्‌यो अर दिलासा देई। बूढै बिरामण नै यो संतोस हो कै छोरै रै ताप कोनी अर मामूली सी दुवाई सूं माथो ठीक हो सकै है। बै नाराणै नै घणै हेत सूं उठाय’र चाय रो प्यालो दियो अर साथै अेक गोळी भी देई।

पछै मिस्सरजी नाराणै नै गाभो ओढ’र सोवण री सलाह दी अर आपरै आसण पर चल्या गया। लोग-बाग खावा-पीवी करी अर आप-आप री ठौड़ बैठ्या। अेक-आध पक्की चिलम भी बणी पण घणखरा कमावू बीड़ी सूं काम काढ्यो।

नाराणो सूत्यो-सूत्यो सगळी बातां सुणै हो पण बा में उण रो ध्यान कोनी हो। पछै दूजा सगळा लोग सोग्या जद भी नाराणै नै नींद कोनी आई। बो चालू नौकरी तो जाणै छोड चुक्यो हो पण आगै रो कोई रूप कोनी बण पायो उण री बम्बई में कठै जाण-पिछाण भी कोई खास कोनी ही कै दूजी नौकरी लाग सकै। पण कुछ भी बणो अथवा मत बणो, बो गद्दी में तो अब पग कोनी देवै।

करीब अेक बजे रो बखत हुयो, नाराणो पेसाब करबा नै उठ्यो। बो देख्यो लोग मजै में सूत्या पड़्या है अर वो अेक जणो जागै है। ईं महानगरी में कै वो अेक इसो है..? और भी उण रा भाई इसी विपता में पड़्या छटपटाता हुसी। बो मन में करी कै थोड़ी देर सड़क पर घूम’र रात री घड़ियां ओछी करै पण बूंदा पड़ै ही।

नाराणो कमरै में पाछो आय’र आपरी चटाई पर बैठग्यो अर अेक सिगरेट सिलगाई। पण सिगरेट सुवाद कोनी लागी तो बो बुझाय’र सड़क पर फेंक दी। बो फेर आडो हुयो पण चित में चैन कोनी तो पछै नैणा में नींद क्यूं कर आवै..?

नाराणो आपरी चटाई पर पसवाड़ा फेरै हो अर दूजा लोग भांत-भात रै सुरां में नाक रो बाजो बजावै हा। भी कोई सोवणो है..! आज रो ओझको नाराणै नै यो नाटक तो दिखायो पण जागणियै सूं बै सात बर सूल हा।

कदे नाराणै रो ध्यान आपरै उण साथियां कानी जावै हो, जिका पढाई कर्‌यां पछै बारलै गांवां में मास्टर बण’र चल्या गया। पण बां नै मास्टरी भी अफसरां रा गोजिया भरणै सूं मिली। नाराणै कन्नै हथियार कठै..? बो आप री पढाई तो ट्यूसना सूं पार पाड़ी है।

कदे नाराणै रो ध्यान आपरै घरां कानी जावै हो, जठै बूढी मां,लुगाई अर तीन टाबरां नै छोड’र बो कमावण खातर दिसावर आयो हो। नाराणो आप चोईसवैं बरस में हो पण तीन टाबरां रो बाप बण चुक्यो हो अर उणरै मनिआर्डर सूं बै सगळा रोटी खावै हा।

नाराणो कॉलेज री डिबेट मांय सदां गरीब मजदूरां रो पख लेवतो अर घणै जोर सूं गरमावतो-गरजतो। पण आज वो आपरो अधिकार बणायो राखण रो अेक उपाय कोनी सोच सक्यो। गद्दी रा सगळा छोटा-बड़ा नौकर पूंछ हलावणियां अर हा में हां मिलावणियां हा। बो कई बर बां नै आप रै अधिकारां री याद दिवाय चुक्यो हो पण चीकणै पर छांट लागै तो बां रै बात लागै। के बेरो बां मांयलो कोई सो चुपचाप जाय’र सेठां रा कान भर्‌या हुवै तो भी अचरज कोनी। पण खैर, बो काल सूं ईं नौकरी पर तो जावै कोनी।

रात बीती अर नयो दिन उग्यो। बाड़ी रा लोग निमटणै-न्हावणै रै काम में लाग्या। सगळा उतावळ में हा। नाराणो भी चटाई छोडी। पण आज उण रो माथो और भी भारी हो अर डील में भी दरद हो।

नाराणो बिरामणां री पूरी मंडळी में बैठ्यो हो पण फेर भी आप नै अेकलो सो अनुभव करै हो। बो कई बर सोच्यो कै जठै चांच है, बठै चुग्गो भी त्यार है, पण उण रै मन में ठाड कोनी आई। फेर बो ईं निस्चय नैं काठो पकड़ राख्यो हो कै अब बो ईं नौकरी पर तो जावै कोनी।

देवकरण जी मिस्सर नाराणै कन्नै आय’र उण री तबियत रो हाल पूछ्यो, नाराणो हाथ आगै सी कर्‌यो तो मिस्सरजी उण री नबज देखी। ताप कोनी ही। मिस्सर समझावणी दी कै डील भारी है तो बो अेक दिन गद्दी में जावै अर बाड़ी में आराम करै पहलो सुख नीरोगी काया। परदेस मांय तो सरीर पर पूरो ध्यान राखणै में सार है। कमावणो तो जिन्दगी भर लाग्यो रहसी।

मिस्सरजी नाराणै नै आपरै साथै बिठाय’र चाय प्याई अर दिलासा दी, पण नाराणो मन री घुंडी खोली कोनी। पछै मिस्सरजी बरणी करबा नैं चल्या गया।

धीरां-धीरां बाड़ी रा घणखरा आदमी जीमजूठ’र आप-आपरै धंधै लागग्या। पण नाराणो आप री चटाई पर माथो भारी कर्‌यां बैठ्यो रयो। बो रात नै क्यूंई खायो कोनी अर अब भी खाली पेट हो। बस, चाय रो गुटको मिस्सरजी साथै जरूर लियो हो। फेर भी रोटियां कानी उण रो ध्यान गयो कोनी। बो अेक सिगरेट चासी। बा जाबक फीकी लागी तो सड़क पर बिना बूझाये फैंक दी।

दस बजे सी डाकियो आयो अर बाड़ी में चिठ्ठियां गेरी। अेक लिफाफै री चिट्ठी नाराणै री भी ही।

नाराणो लिफाफो खोल्यो। चिट्ठी झुंझुणू सूं आई ही। बो चुपचाप बांचण लाग्यो “सिध सिरी बम्बई सुभ सुथान चिरू नाराणै सेती तुमारी मां का आसीस बंचणा। हमा अठै राजी हां अर तुमा भोत राजी रैयो अर सरीर रो पूरो ध्यान राखियो।”

“और भाया, खरची बेगो भेजिये। तुमां रिपिया भेज्या सो पूरा हो चुक्या है। लारलै दिनां तीनूं टाबरां रै ताप चढी, जिको डाक्टरजी री दुवाई देई। अब भी खांसी तो टाबरां नै आवै है अर अंग्रेजी दुवाई प्यावां हां। सोई दुवायां रा दाम नांवै मंडै है।”

“ओर भाया, सराफणी दादी ब्याज खातर फिर-फिर जावै है। सेठाणी कैवै है कै ब्याज रा रिपिया तो बखत-सिर देणा पड़सी।”

“और भाया, गोदावरी रै गीगलो हुयो है। बिचारी तीन छोरियां पर छोरै रो मूंडो देख्यो है। सोई गीगलै जाये रो नेग हमां भेज दियो है। पण लीलगर रा, बजाजां रा अर गोटै हालै रा दाम सारा देणा बाकी है। सगळां नैं हमा कह राख्यो है कै बम्बई सूं खरची आवतां चुकाय देस्यां। सो भाया, तनखा आवै जद रिपियां क्युं ज्यादा भेजिये।”

“और भाया, ठांवां रै भी टीपणी करावणी है। ल्होड़ियै कोठै री जड़ तो अेकदम खजगी है, सो म्हे उण मांय तो बड़ां कोनी। बिचारो कोठो सत-मत सू खड़यो है।”

“ओर भाया, सुणां हां कै ईं साल बम्बई मांय बरखा भोत जोर री है। सो सरीर रो पूरो ध्यान राखिये। मुंबादेबी भली करसी। धिराणी रो पूरो प्यान राखिये।”

“और खरची बेगी भेजिये। मांगतोड़ा म्हारी स्यान लेवै है। और चिट्ठी राजी खुसी री बेगो-बेगो दिया कर। तेरी चिट्ठी कोनी आवै जद म्हारै भोत फिकर हुवै। सोई चिट्ठी देवण मांय कदे भी सुसती मतना करिये।”

“और भाया, सेठां री छायां कदे छोड़िये मतना। ईं घर रै खूंटै सू अेक बर बंधग्यो, जिको जलम भर मोज करी। सोई थोड़ी लिखी में सारी समझ लिये। और चिट्ठी बेगो दिये। मिती..।”

नाराणो पूरी चिट्ठी बांची अर उण रै माथै में अेक झटको सो लाग्यो। ईं झटकै सूं माथै रो भार क्युं हळको हुवतो सो भी अनुभव हुयो। पछै वो अेक-दोय झटका आप खुद खाया अर बेगो सो उठ’र गाभा पैर लिया।

नाराणो बाड़ी सूं बारै आयो अर दुकान पर अेक करड़ी सी चाय पीई। पछै बो बेगो-बेगो गद्दी रै मारग पर चाल पड़्यो।

बो सोचै हो कै जे आज भी गद्दी पूगण में देर हुयगी अर करमजोग सूं सेठ पहली गद्दी में बैठ्या तो बस पछै नाराणै नै दूसरी ठौड़ कोनी..पण ईं बात रो भी बेरो कोनी कै सेठां रै हिरदै में हेत हुवै अर वै राधाकिसनजी सरावगी ज्यूं सिजाय’र उण री करड़ावण काढण खातर करड़ी आंच देवता हुवै।

नाराणो पग और भी उतावळा उठाया। आज उण नैं जरूर-जरूर टेम पर गद्दी में हाजरी देवणी है।

स्रोत
  • पोथी : आज री राजस्थानी कहाणियां ,
  • सिरजक : मनोहर शर्मा ,
  • संपादक : रावत सारस्वत, प्रेमजी ‘प्रेम’ ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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