मिनख कैवै है कै दिवाळी है।
घणां सारु तो रात काळी है।
जिको गैला सा लागता बारै
मजै सूं कुरसियां रुखाळी है।
जड़ां-पतां नैं बाढ़ नांखैला
फूल सारु, इसा ई माळी है।
चौकीदारां रो वेस पैरण नैं
चोर ई कर रह्या रुखाळी है।
बाणियां रै तो जागीरां बधगी
भीमलौ हाल तलक हाळी है।
उणौ रै वोट पेटी में पड़िया
जिणां रै हाथ में दुनाळी है।