मनां रै मांय जळ-जळा कोनी

हिया ह्यो भलै, ऊजला कोनी।

म्है तो देखां जिसी कै’देवां

आप कैवो हो कै कला कोनी।

आदमी है जिसौ कै देवां तो

मिनख कैवै मिनख भला कोनी।

जुग में ड़र-ड़र नै कठा तक जीवां

मौत तो मौत है बला कोनी।

गुर गुना रा भलै नीं सिख्या

सौदो करणै री सला कोनी।

स्रोत
  • पोथी : गुनैगार है गजल ,
  • सिरजक : रामेश्वरदयाल श्रीमाली ,
  • प्रकाशक : कला प्रकाशक जालोर
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