मंदिर-मस्जिद खोजतां, दीनी उमर गंवाय
हियै बिराजै सांच, खोल किवाड़ा हूणिया!
साच न बांमण-बाणियौ, ना ही छूत-अछूत
आखौ अकल सांच, मिनखाचारौ हूणिया!
अेक सरीखौ रगत है, अकल हाडां देह
जीवां करां कळाप, अेक सरीसा हूणिया!
जात-पांत पूछे नहीं, देवळ अर रसूल
धरम ठगोरा बैठ, राड़ मचावै हूणिया!
आभौ आंरी अंगरखी, तावड़ियौ है पाग
हवा अंगोछौ हाथ, रेत पगरखी हूणिया!
थे नी देखी मावड़ी, थे नी देख्यौ बाप
हेला-हेल मचाय, थूक बिलोवै हूणिया!
हे त ह बोळा खांवतौ, लैरा लेता बोल
कागां भर-भर चोंच, झील निचोड़ी हूणिया!
ताळ-तळायां नीवड़ी, जबरो पड्यो अकाळ
चैरा-नैण निचोय, होठ पांणलै हूणिया!
अरचण घर दीसै नहीं, आंनै राम-रहीम
छेकड़ देहां खोल, साध पूरलै हूणिया!
भाठां तीरां तोप सूं, मच्या घणा घमसांण
जीग्या परळे बीच, सिरजणहारा हूणिया!
जिकां पळीता बाळिया, वांनै गिटग्यौ काळ
जीग्या काळ-अकाळ, सिरजणहारा हूणिया!
धूंसा धंसग्या धूड़ में, तूत्यां समदर मांय
थारी-म्हारी सांस, बजै कबीरौ हूणिया!