हूँ थारी याद लियां बैठ्यो हूँ

प्रेम री आग लियां बैठ्यो हूँ।

रूं-रूं में चाल रैया-चबका

नस-नस में नाग लियां बैठ्यो हूँ।

संगमरमर रो पिघळयो आंसू

मन में मुमताज लियां बैठ्यो हूँ।

सइका सूं उडीक लियां तानी री

तन दीपक-राग कियां बैठ्यो हूँ।

जन्मा जळतो बिजोगी यक्ष हूँ

मेघदूत अणथाग लियां बैठ्यो हूँ।

हूँ धुखते बिरन्दाबन रो मन

राधा री आग लियां बैठ्यो हूँ।

उडीक री अगन आंज्यां आंख्या

स्याणी री जाग लियां बैठ्यो हूँ।

मूमल री अखूट आस लियां

मन-मेड़ी काग लियां बैठ्यो हूँ

परेम रो जूनो रतना-सागर

उजळी री लाश लियां बैठ्यो हूँ।

हूँ थारी याद लियां बैठ्यो हूँ

अन्तस आग लियां बैठ्यो हूँ।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : लक्ष्मीनारायण रंगा ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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