घर-घर व्है आलोक, ज्ञान री जोत जगाणी है।
देश बणै खुशहाल, दूसरी गंगा ल्याणी है॥
फुटपाथां पर सोकर जिणनै रात बिताई है।
और भाग सूं जिणकी हर दिन, रही लड़ाई है॥
उणरी खातर उम्मीदां री, भोर उगाणी है।
देश बणै खुशहाल, दूसरी गंगा ल्याणी है॥
जिण रो श्रम सीकर, फसलां बनकर अंगड़ायो है।
माटी नै चंदन जियां ई अंग लगायो है॥
बीं किसान री कीर्तिकथा, इतिहास बणाणी है।
देश बणै खुशहाल, दूसरी गंगा ल्याणी है॥
निरमाणां रा नुवां-नुवां इतिहास सिरज डाल्या।
नदियां, बांधां, नैहरां रा इतिहास सिरज डाल्या॥
उण मेहनतकश लोगां नै पहचाण दिलाणी है।
देश बणै खुशहाल, दूसरी गंगा ल्याणी है॥
जिण हाथां में ताकत है, भूगोल बदलबा री।
जिण पावां नै होड बदी, मंजिल पै चलबा री॥
ई जवान शक्ती नै, नूतन दिशा दिखाणी है।
देश बणै खुशहाल, दूसरी गंगा ल्याणी है॥