समदर तिरस बुझावै कोनी

कसक काळजै मावै कोनी

भैंस भरोसा री इण जग में

परतख पाडी ल्यावै कोनी

दोख कियां बिन देवां ने

कळजुग में कोई ध्यावै कोनी

मन खू़टे सूं बंधी गावडी

ग्याभण है पण ब्यावै कोनी

रसगुल्ला राज रीत रा

भूखा हां पण भावै कोनी

अंतस री अणजाणी पीड़ा

होठां ऊपर आवै कोनी

भाव भरम रा थोथा दाणां

प्रीत पंखेरू खावै कोनी

दिवले रै झीणै चानणियै

ज्ञान गूढ़ अरथावै कोनी

कांटां ऊपर बैठ कोयलड़ी

गीत मरम रा गावै कोनी

ओळी ओळी बातां भोळी

आखर अलख जगावै कोनी

पुहुप वास रा लोभी भंवरा

मतलब बिन मंडरावै कोनी

स्रोत
  • सिरजक : रतन सिंह चांपावत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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