जूनी घड़िया री ओळू रै समचै हिचकी आई व्हैला।
भावा रै समद हबोला में कोई गीता गाई व्हैला॥
पुरवाई शीतळ झोंका में
मेवासी मोर-टऊका में।
खळ-खळ नद-नीर खळका में
पळ-पळ कर बीज पळका में॥
धर-धर-धर अम्बर धरूका में कोई रै चित छाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओळूं रै समचै हिचकी आई व्हैला॥
कविता लिखता री घड़िया में
आखर-आखर री कड़िया में।
गीता री लूबक लड़िया में
सावण री रिमझिम झड़िया में॥
सास उसासा में कोई री अटकी-भटकी धाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओळू रै समचै हिचकी आई व्हैला॥
बागा री खिलती कळियां में
टोळी मडराती अळियां में।
वसन्त रितु रगरळियां में
चंगा पर गाता गळियां में॥
फागण री झीणी राता में कोई रै मन भाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओळू रै समचै हिचकी आई व्हैला॥
आसा री ऊंची मैड़ी पर
चढता पावड़िया पग धरता।
लम्बी-सी दळती राता में
मनड़ै नै बाता बिलमाता॥
हिवड़ै री फाटक री आगळ जड़ता ठोकर खाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओळू रै समचै हिचकी आई व्हैला॥
साथण सू करता बाता में
मैं’दी रचवाता हाथा में।
तीजा पर गीत गवाता में
नैणा री नाजुक घाता में॥
सूरत बण मूरत नैणा में कोई रै चित छाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओकू रै, समचै हिचकी आई व्हैला॥
भावा रै समद हबोळा में
कोई गीता गाई व्हैला।
जूनी घड़िया री ओळू रै,
समचै हिचकी आई व्हैला॥