काया-माया बादल छाया
खोज मिटै ज्यू पांणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी
थोड़ी-सी जिदगाणी में॥
नदी किनारै पांव पसार्यां रीजे मत-ना भोळै में।
है कितरी औकात बावळा जासी पैल हबोलै में।
बिरथा गाल बजावै झूठा, फस कर झामरझोळै में।
अधबिच रामत छोड़ अधूरी
पलक झपे उठ जाणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी
थोड़ी-सी जिंदगाणी में॥
आख्या मींच अपूठो दोड़ै लारै खाडा कावळ है।
सावचेत हू पग धर करणी कोनी ठीक ऊतावळ है।
सोनै रा डूगर मत जाणी अळगा जितरा सावळ है।
चेत रेत में रळ जावैला तिलक माथला चावळ है।
हाथ मसळतो रह जावैला
कीं जीं आणी-जाणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी
थोड़ी-सी जिंदगाणी में॥
बड़सी कुणसी जाय बाड़ में लुकसी कुणसी खाळी में।
हीयै माहीं फेर कांगसी आसी अटक दंताळी में।
भौ-भौ भटक बारणै आयो रहग्यो करम खुजाळी में।
ठाणै पूग भुवाळी खाई फसग्यो फेर पजाळी में।
लख चौरासी फिरो भटकता
फेर पिलीजो घाणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी
थोड़ी-सी जिदगाणी में॥
माया-मद में भूल मती मन रहणो ठौड़-ठिकाणै में।
पाव रती सा’रो नीं लागै आया पछै निसाणै में।
घाणी-माणी खींचा-ताणी जीवण जग उलझाणै में।
चेत मुसाफिर कीं नीं पड़ियो गांठा घणीं घुळाणै में।
कुण जाणै किण टैम बुलावो
आ जावै अणजाणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी
थोड़ी-सी जिदगाणी में॥
काया-माया बादळ छाया खोज मिटै ज्यू पाणी में।
मिनखजमारै विस मत घोळी थोडी-सी जिन्दगाणी में॥