(थळवट री झमाळ सूं)

पिच्छम धरा पवित्र है, तपसी मिनख तमांम।
इष्ट धरम रै आसरै, करै सुतंतर कांम॥
करै सुतंतर कांम, क’ अंतस ऊजळा।
धोरा ऊजळ धिनो, वधै जस चहुंवळा।
महि ऊजळ मरजाद, नीत रौ निरमळौ।
दीपै थळवट देस, आशीषां ऊजळौ॥

शेर परगनौ शेरगढ़ आखै भारत अेक।
निभती जावै ज्यों नरों, टणकाई री टेक॥
टणकाई री टेक, अम्ब रै आसरै।
तर खेजड़ वड तौर, ओप धज अधफरै।
फौजां में चहुंफेर, प्रसिद्धी पावियौ।
अमर बणै इतिहास, साच दरसावियौ॥

स्रोत
  • पोथी : गीत गुणमाळ ,
  • सिरजक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : थळवट प्रकाशन, जोधपुर
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