डब डब भरिया, बाईसा रा नैण
चिड़कली रा नैण लाडलड़ी रा नैण
तीतरपंखी रा नैण सूवटड़ी रा नैण
दो’रो घणो सासरियो॥
मावड़ जाण कलेजै री कोर, फूल माथै पांख्या धरी।
माथै कर-कर पलकां री छाय पाळ-पोस मोटी करी।
राखी नैणा री पुतळी जाण, मोतीड़ां सू मंहगी करी।
कर-कर आप लडाई घण लाड
भरीजी मन गाढ जीवण मीठो जहर पियो
दो’रो घणो सासरियो॥
डूबी सोच समदड़ै रै बीच तरगां में उळझ परी।
जाणै मोत्यां बिचली लाल पल्लै बधी खुल परी।
भरियो नैणा ममता-नीर लाडलड़ी नै गोट भरी।
जागी-जागी काळेजै री पीड़
हिय सू लीवी भीड़
गरळ-गळ हिवड़ो भरयो
दो’रो घणो सासरियो॥
भाभीसा काढ काजळियै री रेख सवारी हिंगळू मांगड़ली।
बीरोसा लाया सदा सुंरगो बेस ओढाई बोरंग चूंदड़ली।
बाबोसा फेरयो माथै पर हाथ दिराई बाई नै सीखड़ली।
ऊभो-ऊभो साथणिया रो साथ
आसूड़ा भीज्यो है गात
नैणा झड़ ओसरियो
दो’रो घणो सासरियो॥
करती कळझळ हिवड़ै रा टूक कूकू पगल्या आगै धरया।
कायर हिरणी-सी मुड़-मुड़ देखै आंख्या माथै हाथ धरया।
मुखड़ो मुरझ्यो बिछड़ता आज रो-रो गैण राता करवा
चाद-मुखड़ै उदासी री रेख,
हुसक्यां भरती देख,
सहेल्यां गायो मोरियो,
दो’रो घणो सासरियो॥
रथड़ै चढतोड़ी पाछल फोर सहेल्या नै झालो दियो।
कंकू-छाई बाजर हरियै खेत जाणै जिया झोलो बियो
छलक्या नैण घृघटियै री ओट काळजो काढ लियो।
काळी-काळी काजळियै री रेख
गगसी पड़गी देख
नैणा सू ढळक्यो काजळियो,
दो’रो घणो सासरियो॥
मनण-रूठण रा आणद उछाव हियै रै परदै मंडता गिया
सारा बाळपणै रा चित्राम बैणां आगै ढळता गिया।
बिलखी मावड़ नै मुड़ती देख विकळ नैण झरता गिया
करती निस-दिन हस-किलोळ
बाबोसा-घर री पोळ
दुल्या रो रमणो छूट गियो
दो’रो घणो सासरियो॥
लागी बाळपणै री प्रीत जातोड़ी जीवड़ो दो’रो कियो।
रेसम रासा नै दी फणकार सागड़ी नै रथड़ो खड़यो।
धरती अम्बर रेखा रै बीच सोवन सूरज डूब गियो।
दीख्या-दीख्या सासरियै रा रूख
रेतड़ली रा टूक
सौ कोसा रहग्यो पीवरियो
दो’रो घणो सासरियो॥
डब-डब भरिया बाईसा रा नैण
चिड़कली रा नैण लाडलड़ी रा नैण
तीतरपखी रा नैण, कोयलड़ी रा नैण
सूवटड़ी रा नैण दोरो घणो सासरियो॥