रिमझिम रा बिछिया बाजै, बादीलो बादळ गाजै।

बिजळी मिस बिरखा मुळकै, मिलणी रा 'सरगम' साजै॥

हरियाळी बण मतवाली, बिरखा री सेज सजावै।

रतनारी आँख्या लाजै, घूंघटियो चांद उठावै॥

हिंगळू री बिंदली दमकै, मुखड़ो रूपाळो गमकै।

हिवड़े में मैंदी रात्री, जिवड़ो रसभरियो छळकै॥

रेसम रो हींडो मांड्यो, झोटा सावण दे ज्यावै।

नाजुकड़ी डाळी ळुळकै, सुगनां नै कूण जिमावै॥

आयो जी लोर लहरतो, लहरायो लहरा्यो देखो।

सतरगी फैंटो बांध्या, आभो अँगाड़यो देखो॥

मखमल सी लाल गुलाबी, तीजड़ल्याँ लुळ-लुळ हालै।

हिरणा रो जोड़ो अब क्यूं, मन माठो करतो चालै॥

सरवरियो सुबक्याँ, पाळां पर बैठी बिरहण।

लहरां रो हिवड़ो उमड़यो, एकलड़ी तरसै मरवण॥

चकवा केळां में खोया, मोरां मल्हार सुणाई।

गीतड़ला गाया गोरी, पिव री जद पाती आई।

झर-झर-झर बरसै आंख्यां फर-फर-फर नैण फरूकै।

बादळ जद घोर दड़ूकै, हिवड़ै रो हँसो हूकै॥

सासू रै पगल्याँ लागी, भैवड़ आसीसां पावै।

सुपनै में साजन देख्या, जाणैं साच्याणी आवै॥

धरती पग मेल्या कोनी, बीजां में निपज्यो जिवड़ो।

कूंपळ री गोद भरीजी, बिरखा रो भरग्यो हिवड़ो॥

चाँदी सूं चौक जड़ाके, घूमरला घाल्या कोई।

मन भरिया गीत सुणा के, बैरण नींदड़ली खोई॥

काळी कांठल में चिमकै, बिजळी मस्तानी बण के।

परवा जद ब्याह रचायो, आयो बादळ बणठण के॥

बिजळी मिस बिरखा मुळकै, मिलणी रा 'सरगम' साजै।

रिमझिम रा बिछिया बाजै, बादीलो बादळ गाजै॥

स्रोत
  • पोथी : सैनाणी री जागी जोत ,
  • सिरजक : मेघराज मुकुल ,
  • प्रकाशक : अनुपम प्रकाशन जयपुर
जुड़्योड़ा विसै