बिजळी चमकै बादळ कड़कै, चोवै रे चौमासो।

बाट देखर्‌यो कुण आवैगो समझ न्हं आवै रासो॥

म्हां सूं बातां बता दे मना रे उदासी कांई बात की।

सारी यों गुजरगी, रात रंगीली बरसात की॥

अतनो बरस्यो फेर तसायो, अरे पपैया नुगरा।

कांई पीऊ? पी जा कोयलिया का आंसू सगरा॥

सावणिया का गीत सुणा रे उदासी कांई बात की।

सारी यों गुजरगी, रात रंगीली बरसात की॥

एक छोटो-सो बाग, बाग मं बंगळो मारूड़ी को।

सोरम उड़ै प्रेम को, प्यालो लागै दारूड़ी को॥

भर छाक तू पीले, पिलारे उदासी कांई बात की।

सारी यों गुजरगी, रात रंगीली बरसात की॥

तो जोगी रमै जोग मं, जोगी जोगण मं।

रामनाम की मौज उड़ाले, कांई धर्‌यो सोवण मं॥

ईं हीवड़ा मं धूणी रमा रे, उदासी कांई बात की।

सारी यों गुजरगी, रात रंगीली बरसात की॥

मत छोड़े दुनियांदारी की कड़ी कसैली बातां।

अणी-गणी जीवन की बची आंवळी वाळी रातां॥

खुद हँसले औरां हँसारे उदासी कांई बात की।

सारी यों गुजरगी, रात रंगीली बरसात की॥

स्रोत
  • पोथी : आंगणा की तुळसी ,
  • सिरजक : किशन लाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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