डायजवाळ संग डोली म कह कांकड़ प कामण।
मुड़-मुड़ देखे जस्यां गाय बछड़ी ज्यों म्हारी जामण।
म्हारा पीहर की पगडण्डी मनै भुला मत जाजै।
याद कदी आवै बीरा की, तू गेलो बतळाजै॥
अब तो सपणो लगै सुवा को रामनाम मन भावण।
मुड़-मुड़ देखे जस्यां गाय बछड़ी ज्यों म्हारी जामण॥
पणघट सूनी पड़ी बैल पूळ्यां नै नहीं निहारै।
यो मोती कतनो अणजाण्यो आर्यो म्हारै लारै॥
आज पराई हुई देहळ नैणां बरसावै सावण।
मुड़-मुड़ देखे जस्यां गाय बछड़ी ज्यों म्हारी जामण॥
कर्यो परायो धन बेटी नै सोच-सोच पछताऊँ।
मात-पिता, घर-बार छूटग्या मन ही मन दुख पाऊ॥
दे दी सीख आज से सब कुछ सासरियो अर साजण।
मुड़-मुड़ देखे जस्यां गाय बछड़ी ज्यों म्हारी जामण॥
कह्यो सुण्यो म्हारो बिसराजै हे म्हारी बस्ती माता।
राजी-खुशी उठा डोली नै रया कहार गुण गाता॥
पीहर हुयो उदास बधावा बचै पिया के आंगण।
मुड़-मुड़ देखे जस्यां गाय बछड़ी ज्यों म्हारी जामण॥