याद आवै री म्हनै
छोटो सो बी’र
भावज का ची’र
पणघट को नी’र
चामल की ती’र
ऊ म्हारो पी’र
कोई सुणतो जावै तो दीजै बोळमो॥
म्हांका गरियाळा की धूळ
बाड़ा को हरियो बंबूळ
धोळा नाराँ की वा जोट
माथा पै पाला को पोट
चामल नंदी की वै तीराँ
टेकाँ चढ़बो धीरां-धीरां
रेतां में कलोळाँ करबो
बहती धारां बीचै तरबो
नंदी बीचै नाव खेतो ऊ भोळो सो की’र॥
नित उठ तुलसां जी में पाणी
ग्यारस नै भूखी रखाणी
ऊ म्हाँको सुखियो सोमार
लाडी बूहणी को थ्वार
गायाँ ने लाडूड़ा देबो
साँझ पड़याँ को मून लेवो
भायेल्यां में काती न्हाबो
गणगोरयां पै ईशर गाबो
हांसी कोसां दूरै चलगी
अबतो बैठी यादां पी’र॥
म्हांका चूल्हा को अरावो
मेटे काळज्या को दावो
भोंतोड़ी पै मंडियो मोर
जाणै जोबण की हिलौर
गालां’ पै मायड़ का चूंबा
बाबल को हाथाँ उलराबो
छानै-छानै शक्कर खाबो
सपना सूं भी दूरी होगी
अबतो मीठी खी’र॥
दूधाँ नीमड़यां की छाया
सावण हिंदळा हिदाया
खेताँ का हरिया उडाबो
नतकै चारो पूळी लाबो
भायेत्याँ सूं मन की बातां
बै छीणा पत्ती की रातां
धूळ-भरी गाडी पढ़ार
आता माठसा पढ़ार
करतो चालता का चाळा
अब बैठी छूँ मूंडो सीं’र॥
इम्में कुणको खैद्यं सारो
बैरी बणग्यो जोबण म्हारो
लाम्बी होताई परछाई
देदी पराया कै ताँई
बीती बातां बणगा सपना
म्हनै कोई न दीखै अपणा
छाती पै घर— धंधो आयो
म्हांको जनम अश्यो सरजायो
चंदा सा मुखड़ा पै, बादळ
बण बैठ्यो म्हारो ची’र॥
जीं घर गाऊं पाळी पोसी
ऊं घर में सूंई आ कोसी
अब छै सासरा की सेबा
छलग्या चाकी सूं हथलेवा
सूरज कद उगियो कद ढळग्यो
यो जोबण चूल्हा सूं बळग्यो
नणदां का माथै कड़कौल्या
देवर कदी न सूंळा बोंल्या।
फसगी आर पराया घर में
ज्यूं पंजड़ में की’ र...
कोई सुणतो जावै तो
दीजै ओळमो॥