आण-बाण अर मनखपणां रो जग में दियो संदेश रे,
सौ-सौ बार जनम लूं ईम्हें, म्हारो भारत देश रे,
माथे मुकुट हिमालय जेड़ो, सागर पगल्या धोवे जी।
उजळी धारा गंगा जमुना, हिवड़ा रै अंग सोहे जी।
नीली चूंदड़ धरा मापड़ी, चांद सितारा सोहे जी।
बायरिया री सोरम, धागे मेघा माळा पोवे जी।
काशमीर काळजियें जड़ियो, सरगां सो अपणेश रे।
सौ-सौ बार जनम लूं ईम्हें, म्हारो भारत देश रे।
धरम-करम रो मरम पिछाणे, गीता वेद कुरान जी।
मठ मन्दिर मसजिद गिरजा सब, समता रा रूझान जी।
रामायण रा राम जानकी, अमर गुणां री खान जी।
गाय चरावे बेणु बजावे, महाभारत रा काह्न जी।
तिरवेणी रो संगम साधे, ब्रहमा विष्णु महेश रे।
सौ-सौ बार जनम लूं ईम्हे, म्हारो भारत देश रे।
बोस दहाड़्यो बंगाला सूं, गांधीजी गुजरात म,
तिलक भगत आजाद बैठग्या, आजदी री पांत म,
नेहरू शास्त्री कर्यो उजाळो, आंगण काळी रात म,
शहीद जड़या सोना रा आखर, आजादी सौगात म,
त्याग तपस्या कुरबाणी री, गाथा भरी विशेष रे,
सौ-सौ बार जनम लूं ईम्हे, म्हारो भारत देश रे,
पंजाब्यां री पागड़ ऊंची, तेग शिवा पहिचाण जी।
रंग रूड़ो मेवाड़ राज यो, भारत रो अभिमाण जी।
तलवारां तोली आजादी, राणो जंग परिमाण जी।
पूत पालणै मरण सिखावे, जौहर व्रत बलिदाण जी।
मुगती री शगती मां मीरां, धरियो जोगण भेस रे
सौ-सौ बार जनम लूं ईम्हे, म्हारो भारत देश रे...