पग-पग माटी लोई मांगे, सूखी हाळी वीज रे
तीखा हळ लै हालौ करसां, आई आखातीज रे
माटी रौ हेलौ सांभळौ!
धरती रौ हेलौ साभळौ!
बांगो है ज्यूं आभौ देखै, विलखै आंख्यां फाड़ै
बोळौ बगनो हुयग्यौ कीकर, धरती हेलौ पाडै
सरवौ व्है तो कांन लगा सुण, माटी थनै बुलावै है
नैण हुवै तो देख रूंखड़ा, धरती हाथ हिलावै है
तन माटी रौ सोच न कीजै, बैठ घड़ै विधाता
रेत मुलक री घणी अमोलक, सुण रे जग रा अंदाता
माटी साटै मरणौ पड़सी, खांधै खांपण बांधलौ
माटी रौ हेलौ सांभळौ!
धरती रो हेलौ सांभळौ!
जद थूं जाणै वाली माटी, चीर काळजौ सूंपै;
प्राण सजीवण करै मिनख रा, झुक झुक पगलया चूंपै
कण बीज्यां मण निपजै इण में, बेलां लाख मतीरा
अेक पूंख अलेखां दांणां, लाखां गुण माटी रा
जे थूं देवै कंवळा टाबर, धरती फूल हंसावै है
जे थूं तन री छाया करदै, माटी रूंख लगावै है
जे थूं इण में सींचै पाणी, धरती सींचै काया
जे थूं देवे खात धरा नै माटी अणगिण माया
चढ़ियौ फरज चुकावण सारू, दूध पियै री आंण लौ
माटी रौ हेलौ सांभळौ!
धरती रो हेलौ सांभळौ!
ला जड़ामूल सूं इंकलाब, पाताळ फोड़ परळै करदै!
करसौ मजदूर बणै करता, धर रो इतिहास नवौ लिखदै
रे अेक सीस रै बदळै धरती, जुग-जुग सीस उगावैला
मरण अकारथ कदै न जावै, माटी मोल चुकावैला
जे हाथ कट्यौ धड़ नीचै पड़गी, धरती धजा उठावैला
माटी थारौ लोई लेनै, मेंहदी हाथ रचावैला
सौगन है काचा पूंखां री, मरणै नै मंगळ मांनलौ
सौगन चंवरी रै फेरां रीं, मरणै नै मंगळ मांनलौ
सौगन सांवण रै हींडां री, मरणै नै मंगळ मांनलौ
माटी रौ हेलौ सांभळौ!
धरती रो हेलौ सांभळौ!