जिको मिलै नीं जीवण-भर में
मिळ जावै पल प्यार में।
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
सिरजनहार एक है सब रो सूरत न्यारी-न्यारी है।
ऊंच-नीच रो भेद छोड़ करता सब री रूखवारी है।
बाग-बगीचा जाय देखलै, भांत-भंतीली क्यारी है।
रंग-बिरंगा फूल खिल्योड़ा सब मिळकर फुलवारी है।
एक तार में पोया लागै
मोती सुन्दर हार में।
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
काज-पाज है अलग-अलग सुख-दुख रा सब झेलू है।
कहदां बात पकी बा समझो पाछी नहीं उथेळू है।
राम-रहीम ईश्वर या अल्ला रूपियै रा दो पैलू है।
कड़ी लड़ी सू जुड़ी हुई है सब रा संबंध घरेलू है।
हिन्दुस्तान सरीसो दूजो
मुलक नहीं संसार में।
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
एक गगन री छाया नीचै धरती सब री माता है।
भेद-भाव रंग छोड़ चन्दरमा सब पर रस बरसाता है।
बारी-बारी मौसम सब पर इक-सा रंग जमाता है।
पवन पवित्तर ठण्ड-हिलोरा सब का मन हरसाता है।
जीव मात्र की सेवा करता
रती नीं भेद विचार में
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
मजिल पर पूगण रै खातर धरम तो पगडंडियां है।
मिनख-मिनख में भेद पटकणो पण्डा री पाखंडियां है।
कपड़ो एक ही है पण रंगली भांत-भांत री झडियां है।
एक चीज से अलग-अलग सब भाव बतावै मडिया है।
झासै में मत आज्यो कोई
डूबोला मझधार में।
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
मोहम्मद नै जो अलख जगाई राम बो ही बनवासी है।
सिगळा धरम बरोबर अठै कोई नहीं उदासी है।
मन्दिर-मस्जिद मका-मदीना, कोई जावै कासी है।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सिगळा भारतवासी है।
एक खदेड़ै री माटी सब
फरक पड़ै क्यू प्यार में।
जात-पात रो विस मत घोळो
जीवण-रस री धार में॥
अपणै हित स्वारथ रै खातर जे कोई मिनख मरावैला।
सुख शान्ति अर खुशियाली में जे कोई टांग अड़ावैला।
भारत अखण्ड अेकता माथै पर कोई आंख उठावैला।
चीर फेंकदा काढ काळजो आख फोड़ दी जावैला।
सीधी-सणक देख मत लाडी
धार तेज दुधार में।
जात-पात रो विस मत घोळी
जीवण-रस री धार में॥
जिको मिळै नीं जीवण-भर में मिळ जावै पल-प्यार में।
जात-पात रो विस मत घोळो जीवण-रस री धार में॥