गाड्यां जुतिया राता माता, बळधां नै बुचकार

बांरै गळपटिया कर त्यार

बांरै गळ घंट्यां सिणगार

चाल्या रे! चाल्या गाडिया लुहार

चाल्या मूंछ्यांळा मोट्यार

चाल्या आंटीला सिरदार

जी रंगीला सिरदार

कोई हठीला

कोई बादीला,

कोई गरबीला सिरदार

चाल्या रे! चाल्या गाडिया लुहार

अै गावां गावां नगरां-नगरां, डोलै मांडै नी घर बार

गाडी जीणो गाडी मरणो, गाडी परणो लोकाचार

आंरै सुख-दुख एकळ सार

मनांता रुत-रुत रा तींवार

चाल्या रे! चाल्या गाडिया लुहार

अै जंगळ मंगळ करै मानवी, बसै जठै रे अै दिन च्यार

धान कूटती चाक चलांती, गीतां मगनी आंरी नार

चांदणी रातां रंग अपार

अमावस कदयक घोर अंधार

चाल्या रे! चाल्या...

मैणो मानै नहीं मजूरी, अै चालै खांडै री धार

भूखा नागा अै रै’य जावै, पण नी मांगै हाथ पसार

आंरो नेम-धरम करतार

निभावै सिभरथ सिरजणहार

चाल्या रे! चाल्या...

जूनो बोदो लोवो गाळै, कूटै पीटै घड़ै औजार

चकू चीमटा बरछ्यां कुड़छ्यां, छुर्‌यां सिंडास्यां घणी संवार

धूंकड़ा भभकीजै अंगार

घमाघम उडै घणा री मार

चाल्या रे! चाल्या...

चाकी चूल्हा ऊंखळ माँचा, बरतण गाभा कस हथियार

कांकड़ बारै डेरा देवै, हाटां बेचै माल बकार

आंरै मैणत री जयकार

आंरै सम्पत री बळिहार

चाल्या रे! चाल्या...

आंरा टाबर अणभणियोड़ा, आंनै कूण करै रे प्यार?

कमर तोड़ मंहगाई भाई, घणी गरीबी घण परवार!

से’वै जुगां जुगां सूं मार

कै’वै किण नै नैड़ा जा’र

चाल्या रे! चाल्या...

अै जुगां जुगां रा रमता जोगी, मायड़ आंरी करै पुकार!

घणा घणा भटकीज्या मोभ्यां, गाड्यां मोड़ो थे सिरदार

नीला घोड़ा रा असवार!

थारा मानै कोनी रे सिरदार

अै तो बादीला, अै तो आंटीला, अै तो गरबीला सिरदार

चाल्या रे! चाल्या

स्रोत
  • पोथी : मोरपांख ,
  • सिरजक : ओंकार पारीक / ओंकार श्री ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य अकादमी (संगम) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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