नीला-नीला आंगणा म, दूधां न्हातो आवै।

बादळ ओले छानै-छानै, यो कुण भाग्यो जावै।

जाणै चांदी रो डळो रे, चांदो रूप रो डळो॥

कदेक चमकै कदेक दमके, लागे घणो भोळो।

धोळो-धोळो गोरो-गोरो, चमचम करती गोळो।

चांदणी पिघळातो ठण्डी बरफ रो डळो॥

मायड़ कह्वै मामू म्हारो, मोत्यां बिचलो हीरो।

सांवळी मायड़ली थूं तो, गोरो थारो बीरो।

म्हारो चांदूल्यो मामूल्यो, महने लागे है भलो॥

पाळा नी चालो तो मामा, सेवा भिजवा दूं।

असवारी चांदा मामा, राकेट जुटा दूं।

बाथकबाथ्यां मिलस्यूं, घाल्यां गळा गळो॥

घी-गुड़ खूब गळकचां रोट्यां, खांड खोपरा खावो।

दूध पतासा पीवो तो थां, चांदा मामा आवो।

पीलो तातो दूध्यो, काहे ठंड गळो॥

आओ जद थां चांदा मामा, भूल मती आज्यो।

चम्मकण्यां तारा री मामा, झोली भर ल्याज्यो।

ल्याज्यो नीतर चांदा मामा करुंली खळो॥

स्रोत
  • पोथी : बाड़यां रा फूलड़ा ,
  • सिरजक : मोहन मंडेला ,
  • प्रकाशक : मण्डेल प्रकाशन शाहपुरा ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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