अधबिच में छोड'र बात, इयां मत जावौ

गा लेवू पूरौ गीत, प्राण! थम जावौ।

ओजूं तौ ढायी आखर कथ सक्यौ हूं पूरा

मन री मन में कद तक राखूं? है अरमान अधूरा

निभ तौ जावणदयौ रीत, प्राण! थम जावौ

अधबिच में छोड'र बात, इयां मत जावौ।

कितरी मनवारां कर गावू ओकर सुणल्यौ मन री

नैनी-सी है बात प्यारी, पण है घणा जतन री

इतरा दिन अणसुणी करी पण आज सुण्यां सरसी

पीड़ायीजी परतीत, प्राण! थम जावौ

अधबिच में छोड'र बात, इयां मत जावौ।

सात्यूं-सुर तौ खड्या अमूझै राग झुरै अणगायां

भासा में बंध सकी ओजूं प्यार तणी माया

किस्यै आसरै कथं खड्या है ढायी आखर गूंगा

अणबोल्यौ है संगीत, प्राण! थम जावौ

अधबिच में छोड'र बात, इयां मत जावौ।

सूळी उपरां जूण चढ्योडी, प्रीत चढी परवाणै

रसणा, रचना गीत उंगेरै पीड़ा नै पितवाणै

आज नहीं अणगायौ रैसी, रूं-रूं बोल उचारै

हेला मारै मनमीत, प्राण! थम जावौ

अधबिच में छोड'र बात, इयां मत जावौ।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
जुड़्योड़ा विसै