उड़ जाऊंगी री मां

पंख लगा

थोड़ा दिनां की पावणी।

घड़ी पलक को मेळो छै या

पल दो पल को साथ छै

आंसू म्हारा स्याई छै ये

आंखड़ल्यां दवात छै

करमा को छै कागद

जींकी कलम विधि के हाथ छै

मत चीर घटा, मत पीर बढा

मत कर बिलाप बड़ भागणी।

फंदी डांसतो हरणी पकड़ी

जाळ सूं जळ माछळियां

या दुनियां छै कुटकी के ज्यूं

लोग बाग सब छलिया

या लै बाबुल थारी नगरी

ये लै गांव अर गळियां

मत हेत लगा मत प्रीत जगा

म्हां सूं लो'मत लगा लडावणी।

म्हांसू छूट्यो देस आपणो

ज्यूं पखेरू सूं घुंसाळो

मत पहरो राख अटारी को

तू मत दे घर पै ताळो

मत पिंजड़ो घड़ा, मत सांकळां चढ़ा

आबादै बा’ळ मन भावणी।

आम पक्यो महुवा गदराया

दाड़यूं फळ बी फळग्यो

यो उमर को मानसरोवर

कोई राजहंस को होग्यो

मणियारा नै फैरी दी

मन काजळ कंघी में रमग्यो

म्हारै मंहदी रचा, म्हारी मांग सजा

पग पहरा पायळ बाजणी॥

स्रोत
  • पोथी : पाणी मै चाँद घुळै छै ,
  • सिरजक : दुर्गादान सिंह गौड़ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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