दुख-सुख दोनू जुड़वां-भाई, रळता है उणियारा।

कुणसो छोटो? कुणसो मोटो? गीत नाद नै बूझै।

गूंगो ऊभो ग्यान मिनख रो, सायर कथै, अमूझै

अनुभव रै परवाण अेक, पण भेद-नीत सूं न्यारा।

दुख-सुख दोनू जुड़वां-भाई, रळता है उणियारा।

दुख री पीड़ा, सुख री क्रीड़ा, माया-रूप रमत है।

लीलामय-प्रभु री दोवां पर, हिरदै-तणी ममत है।

बिरम, रमावण नै रच नाख्या, अंधियारा-उजियारा।

दुख-सुख दोनू जुड़वां-भाई, रळता है उणियारा।

अेक हंसै, रोवै दूजो, दोवां री कुदरत सागी।

अेक-निजर दोवां नै जोवै, बो जग में बड़भागी।

भरम तणो पड़दो लटकै है, कांई करै बिचारा।

दुख-सुख दोनू जुड़वां - भाई, रळता है उणियारा।

अेक कूख रा जाम्या दोनू, अेक बाप रा बेटा।

सागै रैवै, करै मिनख सूं सागै दोनू भेंटा।

नाच नचावै दोनू-भाई, दोनू कामणगारा

दुख-सुख दोनू जुड़वां-भाई, रळता है उणियारा।

अेक-रूप नै दोय बतावै, मरम कोई जाणै।

भरमां-भरमी रोवै-हरखै, सगळा अठै धिंगाणै।

अेक बिना दूजो कीं कोनी, ओळख-परख दुबारा।

दुख-सुख दोनू जुड़वां-भाई, रळता है उणियारा।

स्रोत
  • पोथी : देखै जिसी चितारै ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन, रतनगढ़ ,
  • संस्करण : pratham
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