अब सुपना री सैंणा-भैणा घूंघट खोलो,
मैं सुध-चांद थारला नैणा में आवूँ हूँ
रूप ल्हुकोवण हाळा सगळा बसतर खोलो
प्यार-जुवानी रै सुख रो मैं लियां बीदडी
मनोकामना री सगळी सोरम सरसातो
अंग-अंग में अंगराग ठाडोळ लगाचण
आय रयो हूं, मंगळ-गीत मिलण रा गातो
तन रा, मन रा, रूप-रंग रा सै बळ खोलो
मैं बायरियो बीण बजातो ई आवूं हूँ
फळसा, मोरी, बंद दरूजा आगळ खोलो
थारी-म्हारी मुळकण रा तारां सू रातां
सज जावैली, बीस बणावैली भल वाता
इणी तरै ऊमर री क्यारी खिली रवैली
चलण सकैली नीं कोई पतझड़ री घातां
कळी खिलो, रस घणो लुटावो, पांखां खोलो
मैं रस-लोभी, सचै करणो कद चावूं हूँ
सगळा फूल खिलो, मुळकावो आंख्यां खोलो
उजळा-उजळा अंग उघाड़ो रग उभाड़ो
दूघां-धोई राता में सिणगार कढावो
कजळिया नैणां में भरत्यो रीत प्रीत री
मन सूं मन रो चाव रळावो प्रेम बढावो
कैद करो मत, रागां रा सुवटा नै खोलो
मैं सुर-पथी गीत गळै में ई आवूं हूँ
भावां री मैनावां रा पिंजरा नै खोलो...!