आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज

कोइयां रो काजळियो घुळग्यो, बह ढुळग्यो माटी में रळग्यो

नैणा में सावणियो उफण्यो तनड़ो कण-कण छीजै राज

आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज।

चांद बिना ज्यूं रैण अंधारी, पिव बिन जिवणो सूनो राज

आज तीज पर पिव नां आयो, लाल नणद रो बीर आयो

रात बिखै री लांबी करदी, दिन-दिन दुखड़ो दूणो राज

आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज।

हाथां री मेहंदी हद राची मंड्या मोरिया बोलै राज

पिऊ-पिऊ कह पिया पुकारै, रुक-रुक जोर टहूको मारै

आंसूड़ां रा घूंट पिवण नै पल-पल मुखड़ो खोलै राज

आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज।

रूंखां-रूखां टंग्या झूलणा, सखी-सहेल्यां झूलै राज

रिमझिम सज सोळै सिणगार, घर-घर सुरंगो तीज-तिंवार

पण म्हारो मुख फूल कमल सो पिव बिन झुर-झुर कुम्हलै राज

आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज।

थे थारो नां कवळ निभायो आंसू आज अणाया राज

के सिणगार करूं के गाऊं, फीकी तीज के प्यार सराऊं

आस लियां दो नैण मुळकता, डब-डब कर भर आया राज

आस मिटै पलकां में गळ-गळ, हिवड़ो आज पसीजै राज।

स्रोत
  • पोथी : भारतीय साहित्य निर्माता शृंखला भीम पांडिया ,
  • सिरजक : भीम पांडिया ,
  • संपादक : भवानीशंकर व्यास 'विनोद' ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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