पारपती घुरयौ ये नंगारौ बा ‘रै आवौ जी
महादेवजी म्हारै माय बछवा क्यूं कर घालौ जी
पारपती कोयी आगै अगैरी होती आयी जी
पारपती हुयौ ये नंगारौ बा‘रै आवौ जी
महादेवजी म्हारै काक्यां बछवा क्यूं कर घालौ जी
पारपती कोयी आगै अगैरी होती आयी जी
पारपती हुयौ ये नंगारौ बा‘रै आवौ जी
महादेवजी म्हारी सहैल्यां बछैवा क्यूं कर घालौ जी
पारपती आगै अगैरी होती आयी जी...
पार्वती बज रहा है नगाड़ा तुम बाहर आवो
महादेव जी मेरी मां से विछोह क्यों कर रहे हो
पार्वती यह तो कोई परम्परा से होता आया है
पार्वती बज रहा है नगाड़ा तुम बाहर आवो
महादेव जी मेरी काकियों से विछोह क्यों कर रहे हो
पार्वती यह तो कोई परम्परा से होता आया है
पार्वती बज रहा है नगाड़ा तुम बाहर आवो
महादेव जी मेरी सहेलियों से विछोह क्यों कर रहे हो
पार्वती यह तो परम्परा से होता आया है