राणा जी रा ऊंचा-नीचा गोखड़ा सा ढोला
ज्यांसू ऊंचा गढपतियां का म्हैल
जी धण ख्याल लाल
आज्यौ सा गणगौरयां प्यारा पांवणा ओ राज
अधमण तेल दीयै बळ्यौ
रेगौ म्हारौ आधौ खांगौ किंवाड़
सा धण क्या लाल
आज्यौ लाल
हबौळे प्यारा पांवणा सा ढोला
सहेल्यां उमायी म्हारी यूं रैयी
रेगौ म्हारी मायड़ कै म'न कोड
सा धण ख्याल लाल
सिंजारा नै प्यारा पांवणा सा ढोला
साथीड़ा उमाया म्हारा यूं रह्या
रेगौ म्हारौ घुड़ला ऊपर जीण
धण ख्याल लाल
हबौळे प्यारा पांवणा सा राज
गणगौरयां गौरी आवैला गिंवार
म्है आस्यां सांवणिया की बढी तीज
आज्यौ गणगौरयां प्यारा पांवणा सा ढोला...
राणा जी के ऊंचे नीचे गोखड़े हैं ढोला
उनसे भी ऊंचे गढपतियों के महल
प्रिया आप क्या कह रही हैं!
आना आप गणगौर के त्यौंहार पर प्यारे पाहुने ओ राज
आधा मन तेल दीपक में जल गया
रात भर मेरे महल का रह गया आधा खुला हुआ दरवाजा
मेरी प्रिया क्या!
आना लाल आप
उत्साह से प्यारे पाहुने आना ढोला
सहेलियां उत्साह पूर्वक प्रतीक्षा करती रही
रह गया मेरी माँ के मन में उत्साह
प्रिया आप क्या कह रही हैं
सिंजारे के पर्व पर प्यारे आप पाहुने आना ढोला
साथी मेरे उत्सुकता पूर्वक यूं ही खड़े रहे
रह गया मेरे घोड़ो के ऊपर जीन
प्रिया क्या कह रही हैं आप
उत्साह से प्यारे पाहुने आना ओ राज
गणगौर के त्यौहार पर गोरी आयेंगे गंवार लोग
हम तो आयेंगे श्रावण की बढ़ी तीज पर
आप गणगौर के त्यौहार पर प्यारे पाहुने आना ढोला