कुरजां अे राण्यौ संदेसौ
म्हारै पिया नै पुगा द्यो
अे सूती छी रंग महल में,
सूती नै आयौ रे जंजाळ
सुपना रे बैरी झूठौ क्यों आयो रे
कुरजां तू म्हारी बेनङी अे
सांभळ म्हारी बात,
ढोला तणै ओळमां भेजूं थारै लार
कुरजां अे म्हारौ भंवर मिला द्यो अे...
सुपनौ जगाई आधी रात में
तनै मैं बताऊं मन की बात
कुरजां अे म्हारौ भंवर मिला द्यो अे...
संदेसौ म्हारै पिया नै पुगा द्यो अे
तूं छै कुरजां म्हारै गांव की
लागै धरम की भाण
कुरजां अे राण्यौ भंवर मिला द्यो अे
संदेसौ म्हारै पिया नै पुगा द्यो अे
पांखां पै लिखूं थारै ओळमों
चांचां पै सात सलाम
संदेसौ म्हारै पिया नै पुगा द्यो अे
कुरजां अे म्हारौ भंवर मिला द्यो अे...
लश्करियै नै यूं कही
क्यूं परणी छी मोय
परण पाछै क्यों बिसराई रे
कुरजां अे म्हारौ भंवर मिला द्यो अे...
ले परवानौ कुरजां उङ गई
गई-गई समदर रै पार
संदेसौ पिया की गोदी में नाख्यो जाय
संदेसौ गौरी क पियाजी लै दिन्यौ जाय
थारी धण री भेजी मैं आ गई
ल्याई जी संदेसौ ल्यौ थे बांचो
थे गौरी धण नै क्यौं छिटकाई जी
कुरजां अे सांची बात बताई जी
कै चित आयौ थारै देसङौ
कै चित आया मायङ-बाप
साथीङा म्हानै सांच बता दे रे
उदासी कियां मुखङै पै छाई रे
आ ल्यौ राजाजी थांरी चाकरी
ओ ल्यौ साथीङा थारौ साथ
संदेसौ म्हारी मरवण को आयौ जी
गौरी म्हानै घरां तो बुलाया जी
नीली घोङी नौ लखी
मोत्यां सैं जङी रे लगाम
घोङी अे म्हानै देस पुगा द्यौ जी
रात ढळ्यां राजाजी रळकिया
दिनङौ उगायौ गौरी रै देस
कुरजां अे सांचो कोल निभायौ अे
कुरजां अे राण्यौ भंवर मिलाया अे
सुपनौ जगाई आधी रात में
तनै मैं बताई मन की बात
कुरजां अे म्हारा भंवर मिलाया अे
सुपन रे बीरा फेरूं-फेरूं आजै रे।
कुरजां
कुरजां ए मेरा संदेस
पिया तक पहुँचा दो
सो रही थी रंग महल में
सोई हुई को आया स्वप्न
सपने बेरी झूठा क्यों आया
कुरजां ए तूं मेरी बहिन सुन मेरी बात
प्रियतम पीछे तेरे उलाहना भेज रही हूँ
कुरजां ए मेरा भंवर मिला दे
सपने ने जगाया आधी रात में