कल में तो दोउ फुला बडा जी, एक सूरज दूजो चाँद हो।

वा सकराओ तेजाजी थे बडा जी,

सूरज री किरणा तपे जी, चन्दा री निरमल रात हो।

इन्दर तो बरसावे जी, धरती में निपजैला धान हो

मायड़ जण जनम दीना, बाप लडाया छै लाड ओ।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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