थे तो चोथ मनाल्यो जी,
थारे धन लछमी गोपाल, सकडरी राणी चौथ मनाल्यो जी।
सोने की घडाऊं मेरी माय, रूपेरी घड़ाऊं मेरी माय,
तनै ये पुवाऊं भवानी, पीळा पाट में,
म्हारे सेठ निवाज मेरी माय सेठाणी,
अभचल राखो चूड़लो।