भैरूजी मेवाड़ बीचाळ अन्तरसीर सो गाम।

अन्तरसर की गलियां मे कालुड़े रोळ मचाई।

मतवाला भैरू कासी का वासी आज मुसरमान ध्यावै,

मालण लागी, तेलण लागी, लागी लाल लुहारी,

उपरोड़ा के ढाकता या लटको भरे कलाली।

बरिणयाणी के रगरंगीलो बड़ा गुलगुला ल्यावै।

बामणी के सदा रंगीलो, गहरा मंगल गावै।

जाटण को लागै मतवाला, काचो दूद पावे।

रागड़ी के सदा रंगीलो, मद का प्याला पावे।

मतवाला भैरू कासी का वासी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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