ईसर ले चाल्यौ गणगौर

म्हारे सोळा दिनां रौ चावौ सा

म्है तौ पूज रै रोटी खाती सा

ईसर ले चाल्यौ गणगौर

म्हे तौ सहैल्यां में रोळ मचाती सा

म्हे तौ पूज रै रोटी खाती सा

ईसर ले चाल्यौ गणगौर...

ईसर लेकर चला गणगौर

मेरे सोलह दिनों का उत्सव था

मैं तो गौरी पूजन करके भोजन करती थी

ईसर लेकर चला गणगौर

मैं तो सहेलियों में बड़े उत्साह से खेलती-कूदती

मैं तो गौरी पूजन करके भोजन करती थी

ईसर लेकर चला गणगौर

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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