मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
यो जीरो जीव रौ बैरी रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
पाणत करती रा पगल्या रैह ग्या
म्हारा कड़ला घिस ग्या चांदी रा
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
यो जीरो जीव रो बैरी रे

सौ रिपियां री जोङी थाकी
म्हारौ देवर भाग्यौ लाखिणौ
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
यो जीरो जीव रो बैरी रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो

पीळो औढ पीवरियै चाली
म्हारौ जीरो पड़ग्यौ पीळौ रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
यो जीरो जीव रौ बैरी रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो

काजळ घाल महल में चाली
म्हारौ जीरो पड़ग्यौ काळौ रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो
यो जीरो जीव रौ बैरी रे
मत बाओ म्हारा परण्या जीरो।

जीरा

मत बोवो मेरे पिया जीरा

मत बोवो मेरे पिया जीरा

यह जीरा जीव का बैरी

मत बोवो मेरे पिया जीरा

सिंचाई करते थक गए पांव

सौ रुपये की जोड़ी दुबली हो गई

भाग गया मेरा लाखिणा देवर

मत बोवो मेरे पिया जीरा

यह जीरा जीव का बैरी

पीला ओढकर पीहर चली

जीरा पड़ गया पीला

मत बोवो मेरे पिया जीरा

यह जीरा जीव का बैरी

मत बोवो मेरे पिया जीरा

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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