कीड़ी थारा बिल में अेळची रौ रूंख अे
ऊंची चढ-चढ जोवूं म्हारौ लाडल वीरौ आवै अे
हाथ में सोनै रौ चिटियौ लारै भावज आवै रै
खाक में भतीजौ लावै, घूंघटिया में लाडू रे
दांतिया वाळौ चूड़लौ म्हारी भावज लावै रै
माड़ैली रौ घाघरौ पळका करतौ लावै रे
वीरा वैगो आवजै घी घालूं थनै गाय रौ
कंवर बाई थारौ वीरौ आवै रे उतावली
कीड़ी थारा बिल में अेळची रौ रूंख अे
ऊंची चढ-चढ जोवूं म्हारौ लाडल वीरौ आवै अे।

चींटी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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