बुगला अे माय म्हारै दोय'र च्यार
अेकज बुगलौ बुगला रे वीरा म्हारा गैरो-गैरो बोल
भूल्यौड़ी मावड़ मैले वीर नै
काकोसा कहीजे अणबोलणा
बडोड़ा वीरौसा अे बाई थारा बङायां रै मांय
बिचेटकिया वीरा रौ बिच में सासरौ
छोटोङा वीरौसा बाई थारा हांचळां रा वीर
किणनै मेलूं सिगरथ पांवणौ
मैलूं-मेलूं अे बाई म्हारोड़ौ वीर
मामोसा पधारै सिगरथ पांवणा
मामोसा अे माय म्हारी थारा वीर
काकोसा कहीजै वीर म्हारै बाप रा
काकोसा कहीजै सिगरथ पांवणा
ऊभी-ऊभी ओ जांमी छाजा केरी छांव
काकोसा म्हानै दीसै आवता
बैठो-बैठो ओ काकौसा तखत बिछाय
करसां मनड़ै री बातङी
दोरौ-दोरौ ओ काकौसा सासू रो बोल
कांटौ भागौ केर रौ
दोरी-दोरी ओ काकोसा वीरा हंदी गाळ
काळजियै लागै हळबांणी रौ डांम
जीमौ-जीमौ ओ बाई मोठां रो खांण
पीसौ गुज्जी रौ पीसणौ
खिंवौ-खिंवौ ओ बाई सासू रा बोल
कांटौ कढावौ हैठा बैठनै
बुगला अे माय म्हारै दोयर च्यार
अेकज बुगलौ बोलियौ
बुगला रे वीरा म्हारा गैरो-गैरो बोल
भूल्यौड़ी मावड़ मैले वीर नै।

बुगला

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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