बालो चाल्यो बहिन बनारस जी,

वांका दादासा जाबा नी देय, कुवर बाला यहीं पढोजी।

थांका पढवा ने दैस्यां मैडी ओवरा जी,

थांका गुरुजी ने देस्यां चतर साथ,

कॅँवर बाला यहीं पढ़ोजी।

थांका गुरुजी ने देस्यां दक्षणा धोवती जी,

थांका साथीड़ा ने देस्यां पचरंग पाग।

कंवर वाला यही पढोजी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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