बारै घुड़ला बाज्या ये माय

जांन आयी ये म्हारी गौर की

सब जान्यां के पेचा ये माय

महादेवजी टोपी लगाय रैया

सब जान्यां के घुड़ला ये माय

महादेवजी नांदयौ पिलाण नै

सब जान्यां के डोरा ये माय

महादेवजी सरप लपेटिया

सब जान्यां के मुरक्यां ये माय

महादेवजी मुदरा पैरिया

सब जान्यां के बागा ये माय

महादेवजी अचळौ पैरिया

सब जान्यां के मोचड्यां ये माय

महादेवजी पावड्यां पैरिया

ऊंची चढ देखूं ये माय

जीव दोरौ म्हारी माय को

अब तौ रूप धरौ महादेवजी महाराज

सब जान्यां के पैसा ये माय

महादेवजी तुररा टांकिया

सब जान्यां के डोरा ये माय

महादेवजी कंठा पैरिया

सब जान्यां के मुरक्यां ये माय

महादेवजी लूंग पैरिया

सब जान्यां के बागा ये माय

महादेव जी सेरवानी पैरिया

सब जान्यां के मोचड्यां ये माय

महादेवजी बिनौटा पैरिया

अब तौ रूप धरौ महादेवजी महाराज

जीव सोरौ म्हारी माय को....

बाहर घोड़ों के पोड़ सुनायी दिये माँ

बरात आयी है हमारी गौर की

सभी बारातियों ने सिर साफे बाँध रखे हैं माँ

महादेव जी ने सिर पर टोप लगा रखी है

सभी बराती घोड़ों पर सवार हैं माँ

महादेव जी नंदी पर सवार हैं

सभी बरातियों के गले में सोने के हार हैं माँ

महादेव जी के गले में सर्प लिपटे हुए हैं

सभी बरातियों ने कानों में सोने की 'मुरक्यां' पहन रखी है माँ

महादेव जी जी कानों में 'मुदरा' पहने हुए हैं

सभी बरातियों ने अच्छे वस्त्र पहने रखे है माँ

महादेव जी चोगा पहने हुए हैं

सभी बरातियों ने पैरों में जूतियाँ पहन रखी है माँ

महादेव जी खड़ाऊ पहने हुए हैं

महल के ऊपर चढ़कर देखूँ मैं री माँ

उदास मन है मेरी माँ का

अब तो आप रूप परिवर्तन करो महादेव जी महाराज

सभी बरातियों के साफे हैं माँ

महादेव जी साफे पर तुर्रा लगाये हुए हैं

सभी बरातियों के गले में सोने के हार है माँ

महादेव जी कंठा पहने हुए हैं

सभी बरातियों के कानों में ‘मुरक्या' है माँ

महादेव जी ने लूंग पहन रखे हैं

सभी बरातियों ने नए वस्त्र पहन रखे है माँ

महादेव जी शेरवानी पहने हुए हैं

सभी बरातियों ने जूतियाँ पहन रखी है माँ

महादेव जी चमकीली जूतियाँ पहने हुए हैं

अब तो रूप परिवर्तित करो महादेव जी महाराज

प्रसन्नचित हो गयी है मेरी माँ

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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