वाचाणह लुघा वचन, हींदू हमतिमयाह।

केवाणे पडिया करग, कूरम कावळियाह॥

शक्तिसिंह के वाग्बाणों से अकबर की सेना के हिन्दू और मुसलमान दोनों प्रसन्न (लुब्ध) नही हुए। उसकी बात सुनकर कछवाहों और काबलियों(काबुल निवासियों) के हाथ तलवारों पर जा पड़े अर्थात् उत्तेजित होकर उन्होंने तलवारें खींचली।

स्रोत
  • पोथी : सगत रासो (सगत रासो) ,
  • सिरजक : गिरधर आसिया ,
  • संपादक : हुक्मसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : प्रताप शोध प्रतिष्ठान, उदयपुर
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