संग बळ जावै नारियां, नर मर जावै कट्ट।
घर बाळक सूना रमै, उण घर में रजवट्ट॥
कवि क्षत्रियत्व का स्थान निर्धारित करता हुआ कहता है कि जिन घरों के पुरुष तो युद्ध में जाकर कट मरते हैं, स्त्रियाँ अपने पतियों के शव के साथ जलकर सती हो जाती हैं और दुध-मुँहे बच्चे घर में माता-पिता के रक्षण से रहित अकेले ही निडर खेला करते है, वहीँ क्षत्रियत्व है।