तेज घमकतो तावड़ो चमकै जाणै साण।
ले ले रगड़क आंवतां लूआं लेवै प्राण॥
भावार्थ:- तेज किलकिलाती धूप शान की तरह चमक रही है और उससे रगड़ लेती हुई ‘लूअें’ इतनी तेज हो चली हैं कि वे प्राणों तक को लेने को तैयार है।