टप-टप चूवै आसरा टप-टप विरही नैण।
झप-झप पळका वीज रा झप-झप हिवड़ो सैण॥
भावार्थ:- वासस्थान टपक-टपक कर चू रहे हैं और इसी प्रकार विरहनियों के नयन भी। बिजली का प्रकाश झप-झप कर रहा है और इसी प्रकार साजन का हृदय भी।